चीन में पैदा हुआ दुनिया का पहला डिजाइनर बेबी

बीजिंग : समाचार एजेंसी – चीन में दुनिया का पहला जेनेटिकली मॉडिफाइड बच्चा पैदा होने का दावा किया जा रहा है। यहां के एक शोधकर्ता का दावा है कि उन्होंने जेनेटिकली एडिटेड (डीएनए में छेड़छाड़ करके) जुड़वां बच्चियों (लूलू और नाना) के भ्रूण को विकसित किया है। जिनका इसी महीने जन्म हुआ है। मानव भ्रूण में जीन को एडिट करने के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। शोधकर्ता हे जियांकुई ने कई साल तक लैब में चूहे, बंदर और इंसान के भ्रूण पर अध्ययन किया है। अपनी इस तकनीक के पेटेंट की उन्होंने अर्जी दी है।

इस अध्ययन में अमेरिका के फिजिक्स और बायोइंजीनियर प्रोफेसर माइकल डीम भी शामिल थे। चीन और अमेरिका काफी समय से जेनेटिकली एडिटेड भ्रूण पर शोध कर रहे थे। हालांकि, अमेरिका में जीन एडिटिंग प्रतिबंधित है। उसका मानना है कि डीएनए में कृत्रिम तरीके से किया परिवर्तन अगली पीढ़ी तक पहुंच सकता है और अन्य जीन्स को भी नुकसान पहुंचा सकता है। चीन में इंसानी क्लोन बनाने और उसके अध्ययन पर बैन है, लेकिन इस तरह के शोध की इजाजत है। लिहाजा चीन ने दुनिया में पहली बार जेनेटिकली एडिटेड भ्रूण को इंसानी कोख में रखा और इसे पैदा करने में सफलता हासिल की।

क्या है डिजाइनर बेबी?
हर आदमी की चाहत होती है कि उनका बच्चा स्वस्थ व सुंदर हो। उसके बाल ऐसे हों, आंखें ऐसी हो वगैरह…वगैरह। आज के इस युग में वैज्ञानिक ऐसा करने में भी सक्षम हैं, लेकिन एक तबका इसे कुदरत के नियमों से छेड़छाड़ मानता है। इस तकनीक में भ्रूण के डीएनए से छेड़छाड़ यानी बदलाव किया जाता है।

नतीजों पर नजर
परीक्षण बताते हैं कि जुड़वा बच्चियों में से एक की जीन की दोनों प्रतियों में बदलाव आया है, जबकि दूसरी बच्ची के जीन की सिर्फ एक कॉपी में बदलाव है। शोधकर्ता हे के मुताबिक, जीन की सिर्फ एक कॉपी में बदलाव वाली बच्ची में एचआइवी संक्रमण की संभावना है और सेहत भी प्रभावित हो सकती है।

क्या थी प्रक्रिया
अंडाणु और शुक्राणु का शरीर के बाहर निषेचन (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) कराया गया। जब भ्रूण तीन से पांच दिन का हुआ तो उसके जीन में बदलाव किया गया। शोध में शामिल जोड़ों में पुरुष एड्स से ग्रस्त थे और महिलाएं इससे सुरक्षित थीं। इन जोड़ों से पूछा गया कि वह बदलाव किए गए जीन वाले भ्रूण को रोपित कराना चाहेंगे या सामान्य जीन वाले भ्रूण को। 22 में से 16 भ्रूण के जीन में बदलाव किया गया था। इनमें से 11 भ्रूण को छह अलग-अलग महिलाओं के गर्भ में रोपने की कोशिश की गई। इसमें से सिर्फ जुड़वां बच्चियों के भ्रूण को रोपित करना सफल हुआ।