Wine Policy | अब महाराष्ट्र में किराना और सुपर मार्केट में भी वाइन शॉप ! राज्य सरकार की नई नीति का प्रस्ताव

मुंबई (Mumbai News) : राज्य में अंगुर उत्पादक (grape grower) की ओर से बड़े पैमाने पर उत्पादित किए जा रहे वाइन (Wine Policy) की खपत बढ़े इसके लिए राज्य सरकार (State Government) ने एक विशेष नीति (Wine Policy) बनाई है। अगस्त में इससे संबंधित अधिसूचना जारी होने की संभावना है। नीति में प्रस्ताव है कि राज्य में अब तक शराब (Wine) पर जो उत्पाद शुल्क नहीं वसूला जा रहा है, उसे 10 प्रतिशत की दर से वसूला जाना चाहिए। इसके अलावा, नीति का प्रस्ताव है कि अब तक केवल वाइनरी (winery) में ही खोले जा रहे वाइन की रिटेल आउटलेट (Wine Retail Outlet) अब स्वतंत्र रूप से खोले जा सकते हैं। यदि यह नीति लागू की जाती है, तो डिपार्टमेंट स्टोर्स (department stores) के साथ-साथ सुपरमार्केट (supermarket) में अलग-अलग सेक्शन में वाइन बेचना संभव होगा।

 

2005 में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने वाइन को शराब के रूप में वर्गीकृत करने पर नाराजगी व्यक्त की थी। साथ ही किराना दुकानों में भी शराब (Liquor) उपलब्ध कराने के पक्ष में राय व्यक्त की थी। हालांकि शराब पर अब तक उत्पाद शुल्क नहीं लगाया गया है क्योंकि इसे शराब माना जाता है, लेकिन इसकी खपत उद्योग के लिए संतोषजनक नहीं है। 2020-21 के आंकड़ों को देखें तो देश में उत्पादित विदेशी शराब की बिक्री 20 करोड़ लीटर रही। देशी शराब 32 करोड़ लीटर, बीयर 30 करोड़ लीटर और वाइन की सिर्फ 7 लाख लीटर बिक्री हुई।

 

वाइन की बिक्री इतनी कम होने के कई कारण हैं। शराब के रूप में वाइन का वर्गीकरण एक कारण बन गया। लोग वाइन (Wine) की जगह हार्ड लिकर को तरजीह देते हैं। साथ ही, वर्तमान में वाइनरी के अलावा कहीं भी वाइन की खुदरा बिक्री नहीं होती है। एक अधिकारी ने बताया कि अन्य खुदरा विक्रेताओं को लाइसेंस दिए जाने पर ही वाइन की दुकानें खोली जा सकती हैं। ‘वॉक-इन स्टोर’ (walk-in store) श्रेणी में रिटेल आउटलेट, किराना स्टोर, सुपरमार्केट आदि भी शामिल हो सकते हैं। केवल वाइन बार खोले जा सकते हैं। अगस्त में इस नीति की अधिसूचना निकाली जाएगी। नीति के अन्य घटकों पर विस्तृत जानकारी भी जल्द ही जारी की जाएगी।

पिछले 20 वर्षों से राज्य में उत्पादित शराब पर कोई उत्पाद शुल्क नहीं लगाया जाता है। अब इसे 10 फीसदी वसूलने का प्रस्ताव है। साथ ही, सरकार की कुछ आय वाइन बोर्ड (wine board) को देने की भी है। बोर्ड शराब की गुणवत्ता और मार्केटिंग पर काम करेगा।

देश में कुल 110 वाइनरी हैं, जिनमें से 72 वाइनरी महाराष्ट्र (Maharashtra) में हैं। इनमें से केवल 20 वाइनरी वाइन का उत्पादन करती हैं। अन्य वाइनरी बड़े उत्पादकों के लिए अनुबंध पर उत्पादन करती हैं। नासिक और सांगली प्रमुख अंगूर उत्पादक जिले हैं। चूंकि नासिक में वाइनरी की सबसे बड़ी संख्या है, नासिक को भारत की वाइन एंड ग्रेप कैपिटल (Wine and Grape Capital) के रूप में जाना जाता है। इसके बाद सांगली, पुणे, सोलापुर, बुलढाणा और अहमदनगर जिले हैं।

 

ऑल इंडिया वाइन प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (All India Wine Producers Association) के अध्यक्ष जगदीश होल्कर (Jagdish Holkar) का कहना है कि वाइन एक हेल्दी ड्रिंक है और अगर इसकी बिक्री बढ़ती है तो इससे कृषि-अर्थव्यवस्था (agro-economy) को बढ़ावा मिलेगा। वाइन इंडस्ट्री को 1,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने में 25 साल लग गए। कंपनी का लक्ष्य 2026 तक अपने टर्नओवर को बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये करने का है।

एसोसिएशन के पूर्व राज्य सचिव राजेश जाधव (Rajesh Jadhav) का कहना है कि सरकार को भी वाइनरी को होम डिलीवरी की अनुमति देने की जरूरत है। यदि आपूर्ति श्रृंखला बिचौलिये गायब हो जाते हैं, तो कीमत गिरेगी और छोटे उत्पादकों को लाभ होगा।

 

सरकार वाइन फेस्टिवल और टेस्टिंग सीजन को बढ़ावा देने के लिए 3,000 रुपये का एक दिन का लाइसेंस जारी करने का भी विचार है।

फिलहाल आयोजकों को ऐसे आयोजनों के लिए एक दिन का अस्थायी लाइसेंस दिया जाता है। इसकी कीमत 10,000 रुपये है। इसमें सभी तरह की शराब शामिल है।

 

 

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