कनिष्ठ अधिकारियों को DGP और  CP का पद देकर मेरा अपमान क्यों? संजय पांडे ने उद्धव ठाकरे को लिखा पत्र

 

मुंबई: उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी स्कार्पियो मिली थी। इस मामले में पुलिस अधिकारी सचिन वाझे संदिग्ध हैं। इसके बाद पुलिस आयुक्त परमबीर सिंग को पद से हटाया गया। इस पद पर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी संजय पांडे को बिठाए जाने की संभावना थी लेकिन उन्हे वो पद नहीं मिला।

 

संजय पांडे 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हे ऐसा लग रहा था कि मुंबई पुलिस आयुक्त पद पर उनकी नियुक्ति होगी। हालांकि ऐन वक्त पर राज्य के प्रभारी पुलिस महासंचालक हेमंत नागराले को इस पद पर बिठा दिया गया। संजय पांडे राज्य पुलिस बल के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक हैं। हालिया फेरबदल में उन्हें राज्य सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि, उन्हें लगता है कि उनके साथ गलत व्यवहार किया गया है। बीते कई दिनो में आपके द्वारा लिए गए निर्णय की वजह से मेरे पास बोलने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है।

एंटी करप्शन ब्यूरो का पद मुझ से  कनिष्ठ अधिकारी को दे दिया गया है। चूंकि पुलिस महानिदेशक के बाद दूसरा वरिष्ठतम पद मुंबई के पुलिस आयुक्त का होता है, इस पद के लिए आपने मेरे नाम पर विचार नहीं किया गया। यह जिम्मेदारी मेरे से कम एक अधिकारी को दी गई थी। सुबोध कुमार जायसवाल के बाद, आपने महानिदेशक का पद भरते हुए मुझे अतिरिक्त ज़िम्मेदारियाँ देने के बारे में सोचा भी नहीं था। उसा समय भी जूनियर अधिकारी के बारे में सोचा गया। अब एंटीलिया विस्फोटक प्रकरण के बाद बदली करते समय भी मुझे छोड़ कर एक जूनियर अधिकारी को महानिदेशक का अतिरिक्त पद दे दिया गया।

यूपीएससी के पास नहीं भेजी फाईल

जहां तक मुझे पता है, पुलिस महानिदेशक के चयन की फाइल ढाई महीने बाद भी यूपीएससी को नहीं भेजी गई है। यह प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित किए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। अधिकारियों के महानिदेशक के पद पर स्थानांतरण के संबंध में पुलिस इस्टैब्लिशमेंट बोर्ड में चर्चा होती है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बोर्ड में तीन वरिष्ठ अधिकारी होने चाहिए। हालांकि राज्य के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक मैं हूँ लेकिन फिर भी मैं बोर्ड में नहीं हूं। यह बहुत बड़ा अपमान है। कई बार गृह मंत्री के संज्ञान में इस बात को लाने के बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया गया।

फिर भी नॉन कैडर पोस्ट

डीजीपी रैंक का अधिकारी होने के बावजूद मुझे ‘नॉन कैडर’ का पोस्ट दिया जाता है। वरिष्ठ अधिकारियों को ‘कैडर’ के पद मिलने चाहिए, यह फैसला मुंबई उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि। मैंने अक्सर इसे लिखित रूप में इंगित किया है। हालाँकि, फिर इस बारे में विचार नहीं किया जाता है। नई फेरबदल में भी वही स्थिति बनी हुई है।

मेरे काम की सराहना भी हुई

कही भी कर्तव्य निर्वाह में कह पड़ता या फोर मेरे बारे में कोई आपत्ति होती  तो मुझे किनारा किया जाता तो मुझे समझ में आता। लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। मेरी क्षमता और काम को अक्सर सराहा गया है। मेरे ऊपर कई गंभीर और गोपनीय मामलों की जांच का काम सौंपा गया है। मैंने उसे पूरा किया। देवेन भारती के खिलाफ जांच की रिपोर्ट की आपने खुद सराहना की है। कई बाधाओं और हस्तक्षेपों के बावजूद मैंने इस जांच को पूरा किया। गृह मंत्री ने खुद फिनोलेक्स मामले में मेरे द्वारा किए गए काम को देखा है। उन्होंने इसकी सराहना भी की थी।

उचित स्थान मिले यही उम्मीद

किसी भी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कई वर्षों का संघर्ष करना पड़ता है। हालांकि, व्यक्तिगत पूर्वाग्रह की वजह से किसी का अच्छा खासा करियर बर्बाद होता है तो यह अन्याय है। यही उम्मीद है कि आप इस अन्याय को दूर करेंगे और मुझे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में पुलिस बल में उचित स्थान देंगे।