उपमुख्यमंत्री का पत्ता क्यों कटा ? देवेंद्र फडणवीस ने आगे का प्लान बताया

पटना, 17 नवंबर जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है।  नीतीश ने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।  लगातार चौथी बार वह मुख्यमंत्री बने है।  इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के 7 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमे सुशील कुमार मोदी शामिल नहीं है।  इसलिए नाराज बताये जा रहे सुशील कुमार मोदी सत्ता स्थापना प्रक्रिया से दूर रहे।  पिछली सरकार में मोदी के पास उपमुख्यमंत्री पद था।  लेकिन इस बार उन्हें मंत्रिमंडल में भी जगह नहीं दी गई।

नीतीश कुमार के शपथ विधि के बाद सुशील कुमार मोदी के बारे में सवाल किया गया था।  इस पर नीतीश कुमार ने कहा कि यह सवाल आप भाजपा नेताओं से पूछे।  जनता का समर्थन मिलने पर ही एनडीए सरकार का गठन हुआ है।  सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री पद क्यों नहीं दिया गया ये सवाल आप भाजपा के नेताओं से पूछे।  क्योंकि यह निर्णय उन्होंने लिया है।  हमारा भाजपा के साथ गठबंधन है।  हम साथ काम करते हैं और आगे भी करते रहेंगे।
यह सवाल देवेंद्र फडणवीस से पूछा गया कि बिहार चुनाव के भाजपा प्रभारी देवेंद्र फडणवीस की वजह से सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री पद नहीं दिया गया क्या ? पूर्व सीएम ने कहा कि सुशील मोदी नाराज  नहीं है।  वह पार्टी के महत्वपूर्ण नेता है।  पार्टी निश्चित रूप से उन पर विचार करेगी।  उन्हें नई जिम्मेदारी दी जाएगी।
उपमुख्यमंत्री नहीं बनाये जाने से मोदी नाराज 
कल नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में सुशील  कुमार मोदी नहीं थे।  मोदी के नहीं आने को उनका पार्टी  से नाराजगी बताई जा रही है।  कल दिन भर सरकार बनाने की प्रक्रिया चली, बैठक हुई लेकिन सुशील मोदी नज़र नहीं आये।
भाजपा एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी 
भाजपा ने हाल ही में हुए चुनाव में 74 सीटें जीती। इसलिए एनडीए में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है।  भाजपा ने पहली बार जेडीयू से अधिक सीटें जीती है।  जेडीयू को विधानसभा चुनाव में केवल 43 सीटों पर ही जीत मिली।
नीतीश कुमार के सामने होगी ये चुनौती 
नीतीश कुमार इससे पहले भी कई बार अपना रुख बदल चुके है।  कभी वह मोदी के बड़े विरोधी हुआ करते थे।  लेकिन तब उनके विधायकों की संख्या भाजपा से अधिक थी।  इसलिए सरकार पर उनका वर्चस्व था।  लेकिन अब स्थिति बदल गई है।  भाजपा के विधायकों की संख्या बढ़ने से नीतीश कुमार पर सरकार का नेतृत्व रहेगा लेकिन फिर भी सरकार पर भाजपा का वर्चस्व रहेगा।  कई महत्वपूर्ण विभाग भाजपा के पास जा सकता है। ऐसे में इस सरकार का नेतृत्व करना नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती होगी।