चंद्रयान-2 के लैंडर से संपर्क टूटने पर भी विदेशी मीडिया क्यों कर रहे है भारत की जमकर तारीफ़

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – भारत का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2‘ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ के उतरने की सारी प्रक्रिया सामान्य थी। मगर आखिरी के डेढ़ मिनट ने सबको निराश कर दिया। सभी वैज्ञानिकों के चेहरे पर मायूसी छा गयी। इसरो ने दुखी मन से चंद्रयान-2 के लैंडर से संपर्क न होने की जानकारी दी।

भारत के इस कोशिश को पूरी दुनिया सलाम कर रही है। विदेशी मीडिया ने चंद्रयान 2 की सॉफ्ट लैंडिंग न होने पर भी इसरो और भारत की जमकर तारीफ की है। दरअसल भारत के इस अहम मिशन पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुईं थीं।  वर्ल्‍ड मीडिया इसरो की इस बात को लेकर तारीफ कर रहा है कि उसने चांद की उस डार्क सतह पर उतरने की कोशिश की, जहां उतरने की हिम्‍मत आज तक कोई नहीं कर पाया।

अमेरिकी ऑनलाइन मैगजीन वायर्ड –
अमेरिकी ऑनलाइन मैगजीन वायर्ड के अनुसार, इस मिशन में अब तक सब कुछ खत्‍म नहीं हुआ है, हो सकता है कि लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग में नाकामी और प्रज्ञान रोवर से संपर्क खत्‍म होने से इसरो को झटका लगा हो, लेकिन मिशन में अभी सब कुछ खत्‍म नहीं हुआ है।

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स –
न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने भी भारत के इस मिशन की तारीफ की है। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने लिखा है, भले सॉफ्ट लैंडिंग में इसरो को नाकामी मिली हो, लेकिन ऑर्बिटर अभी भी ऑपरेशन में है।  हालांकि सॉफ्ट लैंडिंग न हो पाने की वजह से भारत को एलीट क्‍लब में शामिल होने के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा।

ब्रिटिश अखबार द गार्डियन –
ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने लिखा है कि संपर्क टूटने से चंद्रयान-2 को आखिरी समय में नाकामी मिली लेकिन फिर भी ये कई मायनो में अहम है। भारत वहां पहुंच रहा है जहां आने वाले समय में आदमी को बसाने की योजना है।

वॉशिंगटन पोस्‍ट –
वॉशिंगटन पोस्‍ट ने अपने आर्टिकल में कहा, ये घटना भारत के तेजी से बढ़ते अंतरिक्ष मिशन के लिए एक झटका है हालांकि इस मिशन में जो कामयाबी मिली, वह देश की युवा आबादी के सपनों को साकार करने का जीता जागता उदाहरण है।