राज्य चाहे जो कह लें, लागू करना ही पड़ेगा नागरिकता कानून : केंद्र

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन कानून पास होने के बाद से देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे है। नार्थ ईस्ट में इस बिल को लेकर बवाल मचा हुआ है। हजारों लोग सड़कों पर उतर आये है। जगह-जगह आगजनी की जा रही है। असम के कई जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी है। इस बीच नागरिकता संशोधन कानून पर कुछ राज्यों ने लागु करने पर आपत्ति जताई है। छत्तीसगढ़, केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश ने स्पष्ट कर दिया है कि यह उनके राज्य में लागू नहीं होगा।

हालांकि केंद्र का कहना है कि राज्य के पास ऐसा कोई भी अधिकार नहीं है कि वह केंद्र की सूची में आने वाले विषय ‘नागरिकता’ से जुड़ा कोई अपना फैसला कर सकें। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ ने अधिकारी ने बताया है कि केंद्रीय सूची में आने विषयों के तहत बने कानून को लागू करने से राज्य इनकार नहीं कर सकते। अधिकारी ने बताया कि संविधान की सातवीं अनूसूची में तीन सूचियां हैं जिसमें संघ, राज्य और समवर्ती सूची शामिल हैं। इसके तहत संसद द्वारा पास किया गया कोई कानून जो संघ की सूची के विषय के तहत है, वह पूरे देश में लागू होगा।

सबसे पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बुधवार को संसद द्वारा पारित किए जाने से पहले ही नागरिकता (संशोधन) विधेयक के विरोध में आवाज उठाई थी, बाद में केरल और पंजाब में सीएम पिनाराई विजयन और सीएम अमरिंदर सिंह ने भी गुरुवार को कहा कि वे कानून उनके राज्य में लागू किया जाने की अनुमति नहीं देंगे। बात करें हिंदी हार्टलैंड की तो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकारों ने भी संकेत दिया है कि वे कानून को लागू नहीं करेंगे।