धर्म और राजनीति को एकसाथ किये जाने का नुकसान हमें हुआ है, उद्धव ठाकरे का बड़ा कबूलनामा 

नागपुर, 20 दिसंबर : मराठी मानुस और हिंदुत्व शिवसेना की राजनीति के प्राण है. पिछले पांच दशक में हिंदुत्व की राजनीति ने शिवसेना को महाराष्ट्र और देश की राजनीति में अपनी अलग जगह बना ली है. ज्वलंत हिंदुत्व का मुद्दा उठाने वाले दल के रूप में शिवसेना को पहचाना जाता है. लेकिन पिछले महीने भर में स्थिति बदल गई है और शिवसेना कांग्रेस और राष्ट्रवादी के साथ चली गई है. इसकी वजह  को काफी हमलों का सामना करना पड़ रहा है. गुरुवार को राज्यपाल के अभिभाषण का जबाव देते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बड़ा कबूलनामा किया।  राजनीति एक जुआ है और इसे जुआ की तरह खेलना पड़ता है. इसके बारे में सोचा तो डूब जाएंगे। राजनीति और धर्म और हमने मिला दिया है और इसका असर हम पर हो रहा है.

सत्र के मात्र दो दिन बचे है

नागपुर के शीतकालीन अधिवेशन के समाप्त होने में बस अब दो दिन बचे है. सभी को उत्सुकता है कि मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। इसमें सबसे अधिक उत्सुकता राष्ट्रवादी के विधायकों को है. मुख्यमंत्री के शपथ लेने के कुछ दिन बाद ही मंत्रिमंडल के विस्तार की खबर थी लेकिन अब कहा जा रहा है कि शीतकालीन अधिवेशन समाप्त होने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।

एनसीपी विधायकों में असंतोष

मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर गुरुवार को बैठक हुई. पिछले दो दिन राष्ट्रवादी प्रमुख शरद पवार, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के मलिकार्जुन खड़गे  के बीच खास बैठक हुई. बैठक के बाद पत्रकारों के सवालो का कोई ठोस जबाव मुख्यमंत्री ने नहीं दिया।  ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मंत्रिमंडल का विस्तार होगा या नहीं?

बताया जा रहा है कि राष्ट्रवादी के विधायकों को संतुष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने पर असंतोष का वातावरण बनने का डर है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद दिया जाएगा।  इस पर राष्ट्रवादी को निर्णय लेना है.