लोग #bishnoi टैग लाइन के साथ कर रहे हैं ट्विट
समाचार ऑनलाइन – इन दिनों वारल हों रही इस फोटो में एक महिला अपनी सन्तान की तरह हिरण के एक बच्चे को अपनी छाती का दूध पिला रही है. यह महिला राजस्थान के बिश्नोई समाज से ताल्लुक रखती है. बिश्नोई समाज सदियों से अपने आसपास के जंगलों, पेड़ों और जंगली जानवरों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. गांवों में लोग अपने पालतू जानवरों की देखभाल करते हैं – बकरी, गाय, भैंस, खरगोश, कुत्ते, बिल्ली, तोते आदि को अपने बच्चे की तरह पालते हैं और उनका नाम भी रखते हैं.
This is how #bishnoi community in Jodhpur cares for animals. These lovely animals are no less than children to them. A lady feeding one. The same people, who fought King in 1730 and laid 363 life protecting Khejri trees. pic.twitter.com/keBj5SEwdG
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) July 18, 2019
इसलिए साफ इस फोटो से साफ देखा जा सकता है इस समाज काजानवरों के प्रति कितना लगाव है. महिला की यह फोटो सोशल मीडिया पर काफी पसंद की जा रही है. एक जानवर और इन्सान के बीच का यह अनोखा लगाव सबको लुभा रहा है. सोशल मीडिया पर यूजर्स इस फोटो को #bishnoi टैग लाइन देकर twitter पर सैकड़ो बार रिट्विट कर चुके हैं.
The most beautiful picture on the internet. Somehow we are the more "educated". #BISHNOI https://t.co/osctVIejZD
— Saswat Prusty (@saswat_prusty) July 18, 2019
इस समुदाय का जानवरों और पेड़ों को लेकर इतना अथाह प्यार है कि एक बार सैंकड़ो गाँववासियों ने अपनी जान तक गंवा दी थी. लगभग 1730 के दौरान जोधपुर के महाराजा अभय सिंह ने बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने का आदेश दिया था. पेड़ो की कटाई के लिए सैनिक भेजे थे, लेकिन गाँव वालों ने पेड़ों को काटने नहीं दिया. पेड़ों को बचाने की लड़ाई में 363 गाँववालों ने अपनी जान तक न्यौछावर कर दी थी.