18 से 44 साल के लोगों का टीकाकरण रुका, केंद्र और राज्य एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप    

ऑनलाइन टीम. नई दिल्ली : कोरोनाकाल में एक साथ कई मुसीबतों से पाला पड़ रहा है। बीमारी ने बेरोजगारी की ओर धकेल दिया है। फिर भी लोगों का कहना है कि जिंदा रहेंगे तो कुछ भी कर लेंगे, लेकिन दिक्कत यह है कि बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन नहीं मिल पा रही है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझते भारत की उम्मीदें अब टीकाकरण पर ही टिकी हैं। केंद्र सरकार ने 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए टीकाकरण की अनुमति दे दी है, लेकिन मौजूदा हालात में बहुत से लोगों के लिए टीका लगवा पाना मुश्किल हो रहा है। एक मई आने से पहले ही यह साफ़ दिखने लगा कि इस टीकाकरण अभियान की पूरी तैयारी नहीं हो पाई थी।

30 अप्रैल को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता से अपील करते हुए कहा कि वे पहली मई से अस्पतालों के बाहर कतारें न लगाएं, क्योंकि वैक्सीन की सप्लाई उपलब्ध नहीं हो पाई है। अब महाराष्ट्र ने मंगलवार को ऐलान किया कि राज्य में 18 से 44 साल के लोगों के लिए फिलहाल कोरोना टीकाकरण रोका जा रहा है, क्योंकि वैक्सीन की किल्लत के कारण अब बचा हुआ स्टॉक 45 या उससे ज्यादा वाले लोगों की दूसरी खुराक के लिए दिया जाएगा।

दोहरा बवाल है, क्योंकि एक तरफ वैक्सीन नहीं है, तो दूसरी तरफ  राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि राज्य में कोवैक्सीन के सिर्फ 35 हजार डोज उपलब्ध हैं। अब लोगों को दूसरा डोज दिया जाना है। जिन लोगों को दूसरा डोज दिया जाना है उनकी संख्या 5 लाख के करीब है। इतने कम डोज में इतने ज्यादा लोगों को दूसरा डोज कैसे दें? इसलिए इसे रोकने के सिवा दूसरा रास्ता नहीं। यहां तक कह दिया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने भी उन्हें यही सलाह दी है।

उन्हें भी लगता है कि अब कोई और रास्ता नहीं है। हमें 18+ के लिए उपलब्ध वैक्सीन को 45+ वालों को देना होगा। 18 से 44 साल वालों के टीकाकरण को धीमा करना पड़ेगा, क्योंकि टीके उपलब्ध नहीं है। हालांकि, अब केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने महाराष्ट्र को ऐसी कोई सलाह नहीं दी है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र को अगले छह महीने में अपनी पूरी जनसंख्या को टीका देने के लिए हर महीने वैक्सीन की 2 करोड़ खुराकें चाहिए।

फिलहाल स्थिति यह है कि कोविन प्लेटफ़ॉर्म पर टीके के लिए रजिस्टर करने के बाद भी 18 से 44 साल के आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए अप्वाइंटमेंट नहीं मिल पा रहा। वहीं दूसरी ओर निजी अस्पताल वैक्सीन लगाने के लिए लोगों से 900 से 1250 रूपए तक वसूल रहे हैं, लेकिन वैक्सीन की कमी के कारण ये निजी अस्पताल भी कम ही संख्या में टीकाकरण कर पा रहे हैं।