अमेरिका का ईरान पर साइबर अटैक, मिसाइल हमले में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटरों को नुकसान

वाशिंगटन : समाचार ऑनलाईन – ईरान में अपने निगरानी ड्रोन गिराए जाने से नाराज अमेरिका ने तीखा जवाब दिया है। अमेरिका ने ईरान की मिसाइल नियंत्रण प्रणाली और एक जासूसी नेटवर्क पर साइबर हमले किए है। अमेरिकी समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, इस साइबर हमले से राकेट और मिसाइल हमले में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटरों को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, अमेरिका के रक्षा अधिकारियों ने इस हमले को लेकर छपी रिपोर्ट की पुष्टि नहीं की है।

बता दें कि अपना निगरानी ड्रोन मार गिराए जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान के खिलाफ मिलिटरी स्ट्राइक का आदेश दिया था लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया। याहू ने दो पूर्व खुफिया अधिकारियों के हवाले से कहा है कि अमेरिका ने सामरिक हॉर्मूज जलडमरूमध्य में जहाजों की निगरानी करने वाले एक जासूसी समूह को निशाना बनाया।
ट्रम्प ने ट्वीट किया, ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते! ओबामा की खतरनाक योजना के तहत वे बहुत ही कम सालों में न्यूक्लियर के रास्ते पर आ गए्। अब बगैर जांच के यह स्वीकार्य नहीं होगा। हम सोमवार से ईरान पर बहुत सारे प्रतिबंध लगाने जा रहे है। हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब ईरान से प्रतिबंध हट जाएंगे और वह फिर से एक समृद्ध राष्ट्र बन जाएगा।

अमेरिका का दावा है कि हाल ही में ईरान ने इसी जगह पर दो बार उसके तेल टैंकरों पर हमले किए थे। बता दें कि परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने के बाद से दोनों देशों के बीच बना हुआ है। इस बीच ईरान ने बीते बृहस्पतिवार को अमेरिका के एक निगरानी ड्रोन को मार गिराया था। इस घटना ने दोनों देशों के बीच पैदा हुए तनाव में और इजाफा किया। ईरान का कहना है कि ड्रोन ने उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया था, जबकि अमेरिका का दावा है कि ड्रोन अंतर्राष्ट्रीय जल सीमा पर उड़ान भर रहा था।

ट्रम्प ने कहा- सैन्य कार्रवाई पर विचार होता रहेगा ट्रम्प ने ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के सवाल पर कहा, जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता तब तक इस पर विचार होता रहेगा। वहीं, ईरान की सेना ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि हमारे खिलाफ किसी भी तरह का हमला करना अमेरिका को महंगा पड़ेगा।

ईरान ने 2015 में किया था परमाणु समझौता

2015 में ईरान ने अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के तहत ईरान ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जताई थी। ट्रम्प ने मई 2018 में घोषणा करते हुए ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था। तभी से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा हुआ है।