कोरोना के संक्रमणकाल में पुणे में दिल दहलाने वाले दो मामले

बेड नहीं मिलने से इलाज के बिना कोरोनाग्रस्त की घर पर मौत
दूसरी घटना में मौत किसी की लाश किसी और की
पुणे। महामारी कोरोना के संक्रमण काल में पुणे में दिल दहला देने वाले दो मामले सामने आये हैं। पहले मामले में बेड नहीं मिलने की वजह से 51 वर्षीय कोरोना संक्रमित व्यक्ति की इलाज के बगैर घर पर ही मृत्यु हो गई। वहीं दूसरे मामले में एक सरकारी अस्पताल ने एक परिवार को किसी अन्य कोरोना संक्रमित व्यक्ति का शव थमा दिया। इस बारे में जब चीख पुकार मची तो अब प्रशासन जागा और जांच का आदेश दिया। लाश की पहचान पता करने के लिए डीएनए जांच करवाई जाएगी, यह भी प्रशासन ने स्पष्ट किया है। इन दो घटनाओं से पुणे में कोरोना संकट की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
गौरतलब है कि, महामारी कोरोना का सबसे ज्यादा प्रकोप पुणे में फैला हुआ है। रविवार को पुणे में कुल 12377 नए कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए और 87 लोगों की मृत्यु हो गई। इस बीच पुणे के औंध में आंबेडकर नगर में रहने वाले एक मरीज की मृत्यु अपने घर पर ही कोरोना से मृत्यु होने की जानकारी सामने आई। मृतक को पुणे के किसी अस्पताल में बेड मिल जाता तो शायद उनकी जान बच सकती थी। मृतक का नाम संतोष ठोसर था, वे 51 साल के थे। उन्हें कोरोना हो गया था और पूरे पुणे शहर में किसी अस्पताल में उनके लिए कोई एक अदद बेड उपलब्ध नहीं था। उनके परिजनों ने पुणे महापालिका की हेल्पलाइन से मदद मांगी गई लेकिन मदद करने में असमर्थ होने का जवाब आया। मध्य रात के दो बजे अस्पताल में बेड की राह तकते हुए इलाज के बिना ही ठोसर के जीवन की डोर टूट गई।
पुणे के औंध में ही एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। औंध के सरकारी अस्पताल ने एक परिवार को किसी और कोरोना मरीज का शव थमा दिया। परिवार द्वारा शिकायत किए जाने पर प्रशासन ने जांच के आदेश दिए। पिछले हफ्ते 90 साल की रखमाबाई जाधव की तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जांच करने पर पता चला कि उन्हें कोरोना है। अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। इसकी जानकारी मिलने के बाद उनका बेटा दीपक और बहू माया दूसरे दिन अस्पताल गए। वहां जाने के बाद उन्हें रखमाबाई का शव उन्हें सौंपा गया, लेकिन जब उन्हें पता चला कि उन्हें जो शव सौंपा गया है वो उनकी मां का नहीं, तो उन्होंने इसकी शिकायत की।
इसके बाद पता चला कि जिस रात रखमाबाई की मृत्यु हुई, उसी रात एक और वृद्धा की मृत्यु हुई थी. दोनों को एक ही शीतपेटी में रखा गया था. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जिस दूसरे परिवार को शव सौंपा गया उनसे शव की पहचान करवाई गई थी. जबकि दीपक का कहना है कि जिस मां ने उन्हें बचपन से पाला-पोसा और बड़ा किया उन्हें पहचानने में वे कैसे भूल कर सकते हैं? दीपक द्वारा शिकायत किए जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया है. जांच के आदेश दिए गए हैं और आश्वासन दिया गया है कि जो भी दोषी पाया जाएगी, उसपर सख्त कार्रवाई की जाएगी. रखमाबाई की पहचान तय करने के लिए उनका डीएनए टेस्ट करवाए जाने का भी निर्णय लिया गया है.