ट्रैक्टर आंदोलन…पुलिस और किसानों के बीच मंथन जारी, नहीं निकल पा रहा बीच का रास्ता 

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : नए कृषि कानूनों को रद्द कराने की जिद पर बैठे आंदोलनकारी किसान ट्रैक्टर आंदोलन से भी पीछे होने को तैयार नहीं। दिल्ली पुलिस की लगातार उनसे वार्ता कर रही है, लेकिन किसानों के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि उन्होंने जो तय कर रखा है, उससे रत्ती भर भी खिसकने को वे तैयार नहीं। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड को लेकर किसान नेताओं और पुलिस अधिकारियों के बीच फिर से बातचीत हो रही है। मंत्रम फार्म हाउस में किसान नेताओं और पुलिस की बैठक हो रही है।

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी, डॉ. दर्शनपाल सिंह और योगेंद्र यादव, युद्धवीर सिंह बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। दूसरी तरफ,  यूपी पुलिस, हरियाणा पुलिस के अलावा दिल्ली पुलिस की ओर से मनीष चन्द्र और दीपेंद्र पाठक कमान संभाल रहे हैं।

इस बीच,  राजधानी की सीमा से सटे इलाकों में किसानों का विरोध प्रदर्शन शनिवार को 59वें दिन भी जारी है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य प्रदेशों से आए हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। यह प्रदर्शन 26 नवंबर को शुरू हुआ था। किसान तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग कर रहे हैं।

ऑन द स्पॉट मिली जानकारी के अनुसार, 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड की तैयारियों को लेकर किसान संगठनों ने पूरी ताकत लगा दी है। पंजाब और हरियाणा से काफी संख्या में ट्रैक्टर दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच चुके हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। किसान अपने साथ राशन और अन्य जरूरी सामान लेकर सिंघु और टीकरी बॉर्डर पहुंच रहे हैं।

पेट्रोल पंप मालिक मुफ्त में किसानों को तेल भी मुहैया करा रहे हैं। अमृतसर से मुल्लांपुर दाखा पहुंचे आठ युवाओं ने पेट्रोल पंप पर किसानों को डीजल बांटा। यह डीजल उन किसानों को दिया गया, जो गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में होने वाले ट्रैक्टर मार्च में शामिल होने जा रहे हैं। शुक्रवार देर शाम तक इन युवाओं ने 50 ट्रैक्टरों में लगभग 2.50 लाख रुपये का डीजल मुफ्त में डाला। युवाओं ने बताया कि सभी दोस्तों ने मिलकर किसानों की मदद के लिए पैसा जुटाया और डीजल बांटकर मदद की। इसमें किसी से कोई फंड नहीं लिया गया है। कुंडली बॉर्डर पर अभी तक करीब 40 हजार किसान पहुंच चुके हैं, जबकि हजारों की संख्या में किसान पहले ही डटे हुए हैं।