आर्थिक मंदी से उबरने के लिए मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार को दी ‘यह’ मुख्य सुझाव, जानें …

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन- पिछले कुछ समय से देश की अर्थव्यवस्था निराशाजनक बनी हुई है. देश की GDP ग्रोथ में भी कमी दर्ज की गई है. यहीं नहीं देश के कई उद्योग भी मंदी की भारी मार झेल रहे हैं, जिनमें ऑटो मोबाईल सेक्टर प्रमुख है. जो भी इन सभी बातों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आम जनता पर असर पड़ रहा है. ऐसे में देश पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधान मंत्री मोदी और उनकी सरकार को इस स्थिति से उबरने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं.

हाल ही में एक न्यूज पेपर के साथ हुए इंटरव्यू में, डॉ. मनमोहन सिंह ने जारी मंदी और मोदी सरकार की नीतियों में गंभीरता से चर्चा की है. इस दौरान उन्होंने मंदी के माहौल को देश के लिए हानिकारक बताया है. इसका अंदाजा पिछली तिमाही की 5% जीडीपी विकास दर में 6 वर्षों के दौरान हुई सबसे कमी को देख कर लगाया जा सकता है. उनका मानना है कि देश की आर्थिक चाल बेहद धीमी है, ये स्ट्रक्चरल और साइक्लिक दोनों है.

हालांकि इस दौरान उन्होंने ऐसे कई अहम उपाय बताए हैं, जिनकी मदद से मंदी से उबरा जा सकता है. वे इस प्रकार है…

1)  नौकरी के लिए अवसर प्रदान करने होंगे. या कहें जॉब देने वाले क्षेत्रों को मजबूत बनाना होगा. बता दें कि साल 2017-18 में बेरोजगारी 45 साल के उच्च स्तर पर रही.

2)  इस समय विशेषज्ञों और सभी स्टेकहोल्डर्स की बात को ध्यान से सुनने की जरूरत है. साथ ही  सेक्टरवार फैसले लेने की जगह अब सरकार पूरे आर्थिक ढांचे को एक साथ आगे बढ़ाने की रुपरेखा तैयार कर, उस पर अमल करें.

3)  उन्होंने GST को तर्कसंगत करने की सलाह दी है. चाहे कुछ समय के लिए टैक्स का नुकसान हो. उनके मुताबिक ग्रामीण खपत बढ़ाने और कृषि को पुनर्जीवित करने के लिए नए तरीके तलाशने होंगे. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के घोषणा-पत्र में ठोस विकल्प हैं, जिसमें कृषि बाजारों को फ्री करके लोगों के पास पैसा लौट सकता है.

4)  पूंजी निर्माण के लिए कर्ज की कमी दूर करनी होगी. सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक नहीं, बल्कि एनबीएफसी भी ठगे जाते हैं. कपड़ा, ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स और रियायती आवास जैसे प्रमुख नौकरी देने वाले क्षेत्रों को पुनर्जीवित करना होगा. इसके लिए आसान कर्ज देना होगा. खासकर एमएसएमई के लिए बड़े कदम उठाने होंगे.

5)  डॉ. मनमोहन सिंह ने यहां अमेरिका-चीन के ट्रेडवॉर का जिक्र करते हुए कहा कि, स्थिति का फायदा उठाते हुए हमें खुल रहे नए निर्यात बाजारों की पहचान करनी होगी. उन्होंने साइक्लिक और स्ट्रक्चरल दोनों समस्याओं के समाधान पर जोर देते हुए कहा कि, ऐसा करने पर ही हम आगामी 3-4 सालों में उच्च विकास दर को वापस पा सकते हैं.

6) हाल ही में खुलासा हुआ है कि देश की नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ भी 15 साल के निचले स्तर पर है. अर्थव्यवस्था के कई अहम क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, जिसमें ऑटोमोटिव सेक्टर प्रमुख है. इस क्षेत्र में प्रोडक्शन में भारी कमी दर्ज हुई है.

7)  देश में बेरोजगारी भी चरम पर है. मंदी के चलते साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोग अपनी नौकरियां गंवा चुके हैं. इसलिए पूर्व प्रधानमन्त्री की सलाह है कि देश में नौकरी के अवसर प्रदान करें. वही दूसरी ओर रियल एस्टेट सेक्टर की गति भी थमी हुई है. नतीजतन ईंट, स्टील व इलेक्ट्रिकल्स जैसे संबद्ध उद्योग भी प्रभावित हो रहे हैं.

8)  कोयला, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के प्रोडक्शन में भी कमी के बाद कोर सेक्टर धीमा हो गया है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था फसल की अपर्याप्त कीमतों से ग्रस्त है. किसानों को उनकी मेहनत के अनुसार फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. इसलिए देश के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले किसानों के उत्थान के लिए विशेष ध्यान दिया जाए.