‘इस’ IPS अधिकारी ने किया था वीरप्पन का ‘एनकाउंटर’, अमित शाह ने दी बड़ी जिम्मेदारी

नई दिल्ली :  समाचार ऑनलाइन- कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन का एनकाउंटर करने वाले IPS अधिकारी विजय कुमार को गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर मामलों का सलाहकार नियुक्त किया है. इसके पहले वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के सलाहकार थे. विजय कुमार तमिलनाडु कैडर के 1975 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. आगे जानते हैं उन्होंने वीरप्पन का खात्मा कैसे किया …

वीरप्पन की थी दशहत

तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगल वीरप्पन का ठिकाना थे. पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही थी.  वीरप्पन ने कई पुलिस अधिकारियों और सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद विजय कुमार को वीरप्पन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भेजा गया.

मुठभेड़ के दौरान विजय कुमार STF में थे

साल 1998 – 2001 विजय कुमार कश्मीर घाटी में बीएसएफ के इन्स्पेक्टर जनरल थे। उनके कम की बेहद प्रशंसा होती थी, जिसे देखते हुए उन्हें वीरप्पन का केस दिया गया. साल 2004 में वीरप्पन का एनकाउंटर करने के बाद पूरे देश में उनके नाम की चर्चा थी. उस समय, विजय कुमार एसटीएफ प्रभारी थे।

नक्सली पर लगाम कसी  

साल 2010 में छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के 75 जवानों की हत्या कर दी गई थी. तब विजय कुमार को सीआरपीएफ डीजी बनाया गया था, ताकि नक्सली गतिविधियों से बचा जा सके।

वीरप्पन का आतंकवाद तीन दशकों तक चला

वह दक्षिण भारत के हाथी दांत से लेकर चंदन के पेड़ों की तस्करी करता था। इस बीच वीरप्पन की दृष्टि प्रभावित हो गई थी और वह अपनी आँखों का इलाज करना चाहता था। वीरप्पन ने इस संबंध में एक सौदा भी किया था और इसी से वह बंदूकें भी चाहता था। उसका जंगलराज करीब तीन दशकों तक जारी रहा.

पुस्तक में विस्तृत उल्लेख किया गया है

विजय कुमार ने अपनी पुस्तक ‘वीरप्पन: चेसिंग द ब्रिगैंड’ में वीरप्पन के एनकाउंटर के बारे में विस्तार से बताया है. इसमें वीरप्पन द्वारा की गई सभी हत्याओं और अपहरणों का भी उल्लेख है। इसमें कन्नड़ अभिनेता राजकुमार के अपहरण का भी उल्लेख है. एक्टर को 108 दिनों तक बंदी बनाकर रखा गया था.

विजय कुमार ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि, वीरप्पन को पकड़ने के कई प्रयास विफल रहे हैं। एक बार वीरप्पन हाथ में आते-आते बच गया था। उसका सिक्स सेन्स बहुत काम करता था. एक बार तो वह सिर्फ इसलिए पुलिस के जाल में नहीं फंसा, क्योंकि उसके कंधे पर छिपकली गिर गई थी. इसके बाद वह आधे रास्ते से ही वापस लौट गया था. जबकि पुलिस ठीक उसी जगह उसका इंतजार कर रही थी।

व्यापारी को मोहरा बनाया

विजय कुमार ने योजना बनाकर एक व्यापारी को मोहरा बनाया, जिससे वीरप्पन हथियार लेता था. जब व्यवसायी को उसके श्रीलंका कनेक्शन उजागर करने का डर दिखाया गया तो उसने साथ देने का वादा किया.

SI वेल्लादुरई को बनाया संदेशवाहक

व्यवसायी का संदेश वीरप्पन तक पहुंचाने के लिए विजय कुमार ने SI वेल्लादुरई का चुनाव किया. उन्होंने कोड वर्ड में सारी बातें करने का फैसला लिया. एसटीएफ ने व्यवसायी से कहा कि वह वीरप्पन के आदमी से धर्मपुरी के पास किसी चाय की दुकान पर मिले. इसके बाद उस आदमी ने एक लॉटरी टिकट के दो टुकड़े किए और एक व्यवसायी को दिया. यह टिकट उस आदमी के लिए था जो वीरप्पन को आंखों के ऑपरेशन के लिए अस्पताल लेकर जाएगा.

वीरप्पन की गोली मारकर हत्या

तमिलनाडु के जंगलों से जब एसआई वेल्लादुरई एम्बुलेंस से वीरप्पन को ले जा रहे थे। तभी एसटीएफ ने उसे चारों तरफ से घेर लिया। एसआई के भागने के बाद हुई गोलीबारी में वीरप्पन मारा गया।

लॉटरी टिकट बना अंतिम यात्रा का टिकट

तमिलनाडु के जंगलों के बीच से जब SI वेल्लादुरई एंबुलेंस में वीरप्पन को लेकर जा रहे थे. तभी STF ने उसे चारों ओर से घेर लिया. मौका पाकर SI वहां से भाग निकले. इसके बाद हुई गोलीबारी में वीरप्पन मारा गया और इसी के साथ उसके जंगल राज का भी अंत हो गया.