नई दिल्ली: समाचार ऑनलाइन– नवंबर का शुरूआती महीना मोदी सरकार के लिए तनावभरा साबित हुआ और अभी आगे के हालात भी कुछ ठीक नजर नहीं आ रहे हैं. इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा ही, वहीं महंगाई भी पसीने छुड़ा रही है.
इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, इस सन्दर्भ में जारी आंकड़ों के अनुसार देश के औद्योगिक उत्पादन में 8 साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज हुई है, वहीं मूडीज ने भी भारत के आउटलुक को नेगेटिव करार दिया है.
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर ऐसे ही 5 आंकड़े सामने आए हैं, जो बता रहे हैं कि देश की आर्थिक व्यवस्था को अभी संभाला नहीं गया, तो इसके परिणाम बुरे हो सकते हैं.
जानिए …
खुदरा महंगाई में लगातार बढ़ोतरी दर्ज
देश में रोजमर्रा की चीजों के भाव लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं सब्जियों के बड़े भावों के कारण, कई लोगों ने सब्जी मार्केट जाना छोड़ दिया है. मार्केट में सब्जी, दाल, मांस आदि खाद्य पदार्थों बढ़ी कीमतों की वजह से देश में अक्टूबर के दौरान खुदरा महंगाई दर पिछले महीने से बढ़कर 4.62 फीसदी हो गई. देश की खुदरा महंगाई दर इस साल सितंबर में 3.99 फीसदी दर्ज की गई थी.
पिछले साल अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 3.38 फीसदी थी.
औद्योगिक उत्पादन में 8 साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज
वहीं हम इंडस्ट्रियल उत्पादन की बात करें तो यह भी बुरी तरह से मंदी की मार झेल रहा है. सितंबर महीने में देश के औद्योगिक उत्पादन में 4.3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. अगस्त महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में 1.1 फीसदी की गिरावट आई थी.
बताया जा रहा है कि यह पिछले आठ साल की सबसे बड़ी गिरावट है. इससे पहले आईआईपी ने अक्टूबर 2011 में इससे निचला स्तर छुआ था, जब आइआइपी में 5 फीसदी गिरावट आई थी.
मूडीज ने भी दिया झटका
रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस द्वारा ने भी देश की अर्थव्यवस्था को नेगेटिव रेटिंग देकर यह जता दिया है कि देश की आर्थिंक व्यवस्था सोचनीय और जोखिमों से घिरी हुई है. रेटिंग एजेंसी ने भारत को लेकर अपने आउटलुक यानी नजरिए को ‘स्टेबल’ (स्थिर) से घटाकर ‘नेगेटिव’ कर दिया है.
बता दें कि मूडीज के आउटलुक से यह अंदाजा लगाया जाता है कि किसी देश की सरकार और वहां की नीतियां आर्थिक कमजोरी से निपटने में कितनी प्रभावी है.
जीएसटी कलेक्शन भी घटा
वहीं पिछले महीने GST कलेक्शन में भी कमी दर्ज हुई है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2019 में जीएसटी का कलेक्शन सालाना आधार पर घटकर 95,380 करोड़ रुपये रहा. पिछले साल अक्टूबर में यह आंकड़ा 1,00,710 करोड़ रुपये था.
संक्षिप्त में समझे तो अक्टूबर 2018 के मुकाबले अक्टूबर 2019 में जीएसटी कलेक्शन में 5.29 फीसदी की गिरावट आई है.
ऑटो इंडस्ट्री को मिली थोड़ी राहत
अगर देश में सबसे अधिक मंदी की मार झेल रही इंडस्ट्रीज की बात की जाए तो, इनमें ऑटो इंडस्ट्री अग्रणी पंक्ति में है. काफी लंबे समय से यह मंदी की चपेट में है. लेकिन अभी जो आंकड़े सामने आए हैं, उनसे प्रतीत होता है कि ऑटो इंडस्ट्री के लिए अक्टूबर महिना थोडा राहतभरा रहा. हालाँकि अभी भी मुश्किल की घड़ी खत्म नहीं हुई है.
आंकड़े बता रहे है कि इस महीने में पैसेंजर व्हीकल्स की बिक्री 0.28 फीसदी बढ़कर 2,85,027 तक पहुंच गई. बल्कि एक साल पहले इसी माह में घरेलू बाजार में ऐसे वाहनों की बिक्री 2,84,223 इकाई रही थी.
हालाँकि त्योहारों के सीजन के चलते इस बढ़ोतरी को संतोषजनक नहीं माना जा सकता. क्योंकि देश में दशहरा, दिवाली पर नए वाहनों की खरीददारी का चलन है, लेकिन हमेशा की तरह इस बार अपेक्षाकृत बिक्री नहीं हो सकी.
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