… तो इसकी कीमत चुकानी पड़ी अनुराग और तापसी को, सामना के माध्यम से मोदी सरकार पर निशाना

निर्देशक अनुराग कश्यप और अभिनेत्री तापसी पन्नु के घर पर आयकर विभाग द्वारा छापा मारने के बाद देश में सनसनी फैली हुई है। यह कदम राजकीय उद्देश्य से उठाए जाने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दल मोदी पर टिप्पणी कर रहे हैं। वही इस मुद्दे पर सामना में सम्पादकीय के माध्यम से मोदी सरकार को खरीखोटी सुनाई गई है।

सिर्फ तापसी और अनुराग कश्यप क्यो

संपादकीय में लिखा है कि देश की राजनीति का चित्र दिन-प्रति-दिन स्पष्ट  होता जा रहा है या और उलझता जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार के खिलाफ टिप्पणी करना देशद्रोह नहीं है। फिर भी मोदी सरकार के खिलाफ बोलने वाले फिल्मस्टार, निर्माता और दिग्दर्शको पर इनकम टैक्स की एक के बाद एक रेट पड़ रही है। इनमें  तापसी पन्नू हो, अनुराग कश्यप विकास बहल या मधु मंटेना शामिल हैं। पुणे में 30 से ज्यादा रेड पड़ चुकी हैं। अनुराग कश्यप तापसी पन्नू ने केंद्र सरकार के कई फैसलों पर अपने विचार साफ तौर पर सामने रखें थे। जिसके बाद यह रेड हो रही है। यह सवाल इसलिए है कि हिंदी सिनेमा जगत का काम स्वच्छ और पारदर्शी है तो क्या केवल अपवाद तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप हैं।

इसकी कीमत चुकानी पड़ रही

तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप अपनी बात खुलकर रखने वालों में से हैं। फिल्म जगत के कई कलाकारों ने किसानों का समर्थन तो नहीं किया बल्कि दुनिया भर से जो लोग किसानों का समर्थन कर रहे थे उनके बारे में कहा कि ये हमारे देश में दखलंदाजी है। वहीं तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप ने किसान आंदोलन के पक्ष में अपनी बात कही और उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। ऐसा कहते हुए शिवसेना ने सरकार पर आरोप लगाया है कि किसान आंदोलन को समर्थन देने की वजह से उन्हे ये कीमत चुकानी पड़ रही है।

बाकी लोग गंगाजल की तरह पवित्र हैं क्या

 2011 के लेन देन को लेकर ये छापे पड़े हैं। यह मामला उनके एक प्रोडक्शन हाउस के टैक्स से संबंधित है। आयकर विभाग की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े होते हैं और ऐसा लगता है कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है। कार्रवाई करने के लिए उन्होंने केवल इन्हीं लोगों को क्यों चुना? बॉलिवूड के बाकि लोग गंगाजल की तरह पवित्र हैं क्या? सरकार के इशारों पर नाचना बोलना होता आया है लेकिन कुछ लोग स्वाभिमानी होते हैं और अलग मिट्टी के बने होते हैं।

बाकी क्या धुले चावल की तरह साफ हैं

लॉकडाउन के दौरान बॉलीवुड ने कई मुश्किलें देखी हैं। फिल्म निर्माण बंद हो गए। थियेटर बंद हैं। एक बड़ा उद्योग आर्थिक संकट से गुजर रहा हो, वहां इस तरह से राजनीतिक बदला लेने के लिए कार्रवाई करना ठीक नहीं है। कई ऐसे कलाकार हैं जो मोदी सरकार की खुलकर चमचागिरी करते हैं। उन्हें सरकार से सीधे तौर पर लाभ भी मिलता है। उनका व्यवहार और लेन देन क्या धुले हुए चावल की तरह साफ है? भाजपा और सरकार की नीतियो का विरोध करने की वजह से इस कारवाई करने की बात को सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने नकारा है। छापा मारने वाली टीम के पास जिस तरह से जानकारी आती है उसी आधार पर वो कारवाई करते हैं।यह दिव्य जानकारी प्रकाश जावड़ेकर ने दी है।

कुछ लोगो की मजबूत होती है रीढ की हड्डी

सामना में आगे लिखा गया है कि कुछ लोगों की रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और समय आने पर वे बता भी देते हैं और वह पर्दे पर जिस तरह की संघर्षमय भूमिका अदा करते हैं, वैसा ही असल जीवन में भी जीने का प्रयास करते हैं। ‘पिंक’, ‘थप्पड़’ और ‘बदला’ जैसी फिल्मों में तापसी का जोरदार अभिनय जिन्होंने देखा होगा वे ऐसा नहीं पूछेंगे कि तापसी इतनी मुखर क्यों हैं? अनुराग कश्यप के बारे में भी यही कहना पड़ेगा। उनके विचारों से सहमति भले न हो, लेकिन उन्हें उनका विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार है।

देश की प्रतिष्ठा पर पड़ा असर

दीपिका पादुकोण ने जेएनयू में जाकर वहां के विद्यार्थियों से मुलाकात की, तब उनके बारे में भी छुपे आंदोलन और बहिष्कार का हथियार चलाया गया। दीपिका की फिल्म को नियोजित तरीके से फ्लॉप करने का प्रयास हुआ ही,  सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ गंदी मुहिम चलाई गई। ये सब करनेवाले लोग कौन हैं या किस विचारधारा के हैं, ये छोड़ो, लेकिन यह तय है कि ऐसे काम करके वे लोग देश की प्रतिष्ठा बढ़ा नहीं रहे हैं। पर्यावरणवादी कार्यकर्ता दिशा रवि को जिस घृणास्पद तरीके से गिरफ्तार किया गया और उसको लेकर जिस प्रकार दुनियाभर में मोदी सरकार पर टीका-टिप्पणी हुई, इससे देश की ही बेइज्जती हुई है। गोमांस मामले में कई लोगों की बलि गई, लेकिन भाजपा शासित राज्यों में गोमांस बिक्री जोरों पर है। इस पर कोई क्यों नहीं बोलता? फिलहाल, देश में हर प्रकार की स्वतंत्रता का हनन हो रहा है। इसमें केंद्रीय जांच एजेंसी की निष्पक्षतापूर्ण कार्य की स्वतंत्रता भी जलकर खाक हो गई है. तापसी और अनुराग के मामले में यही हुआ है। इस तरह की टिप्पणी सामना में की गई है।