158 साल पुराने पुल का भार कम….10 को नए कोइलवर पुल का लोकार्पण, वशिष्ठ नारायण सेतु होगा नाम 

पटना. ऑनलाइन टीम : बिहार में सोननदी पर बना कोईलवर रेल सह सड़क पुल एक ऐतिहासिक धरोहर है। इसकी उम्र 158 साल हो गई है। पुल का आइडिया तत्कालीन अंग्रेज लोटिस गेस्टर का था। कोइलवर पुल का निर्माण 1856 में शुरू हुआ। इस पुल में 28 पिलर हैं। पुल के ऊपरी हिस्से में रेलमार्ग निचले हिस्से में टू लेन की सड़क है। जिसमें उत्तरी लेन 3.03 मीटर दक्षिणी लेन 4.12 मीटर चौड़ा है। पटना राजधानी को कई जिलों को जोड़ने का एकमात्र लाइफलाइन हैं, लेकिन पुल दिन पर दिन कमजोर की स्थिति में पहुंचता जा रहा था। ब्रिटिश हुकूमत में 28 पिलरों पर अवस्थित इस पुल के पिलरों की मरम्मत कभी नहीं कराई गई।

पुल के पिलरों के 100 और 200 मीटर क्षेत्र में बालू खनन पर हाईकोर्ट रोक के बावजूद अक्सर बालू खनन होता रहा है, जिससे पुल की मजबूती पर असर पड़ता रहा है। इस स्थिति को देखते हुए पुराने कोइलवर पुल का भार कम करने के लिए बगल में ही नया कोइलवर बनाया गया है। इस नए पुल के छह में से तीन लेन का उद्घाटन 10 दिसंबर को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी वर्चुअल माध्यम से करेंगे।

जानकारी के अनुसार, पुल का अन्य तीन लेन वाला हिस्सा मई, 2021 और पुल के एप्रोच सहित सड़क अक्तूबर, 2021 तक बन जाएगी। इसके साथ ही सोन नदी पर यह चौथा पुल होगा। इसकी लागत करीब 194 करोड़ रुपये है।  तीन लेन को ट्रायल के लिए छठ के बाद खोल दिया गया था। बता दें कि कोइलवर में सोन नदी पर अंग्रेजों द्वारा 1862 में बनाये गये अब्दुल बारी पुल के ऊपरी लेन से ट्रेनें गुजरती हैं। इसी पुल के नीचे चारपहिया वाहन भी चलते हैं। इस पुल की लंबाई 1440 मीटर है। नया पुल इसके 500 मीटर उत्तर में बना है। नया पुल बन जाने से अब्दुल बारी पुल और इससे संबंधित आरा-पटना एनएच-30, आरा-छपरा गंगा पुल रोड समेत अन्य लिंक रोड पर भी जाम से राहत मिलेगी।