शादियों की बदल गई स्टाइल, घरों के बजाय धार्मिक स्थलों पर गूंज रहीं शहनाइयां

कोडरमा. ऑनलाइन टीम : आयोजनों में सीमित लोगों की उपस्थिति की अनिवार्यता के कारण रोजमर्रा की जीवन तो प्रभावित हुआ ही है, जीवन में एक बार होने वाले आयोजनों की तस्वीर भी बदलती जा रही है।  पहले शादी ब्याह के मौके पर परिवार और रिश्तेदार ही नहीं, आस-पड़ोस में रहने वालों की भारी हुजूम रहती थी। लोग तड़क भड़क में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते थे, मगर इन दिनों घरों की बजाय धार्मिक स्थलों पर शादी ब्याह करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। कम में बम वाली स्थिति फायदेमंद भी साबित हो रही है। कम खर्च में आयोजन संपन्न होने की यह अदा सभी को भा रही है।

पिछले 25 नवंबर से लग्न शुरू होते ही शादी शुरू हो गयी है। देश के लगभग सभी भागों में यही नजारा देखने को मिल रहा है। कोरोना का डर और सरकारी गाइडलाइन ने बंदिशे लगा रखीं हैं। दोनों पक्षों की रजामंदी से सीमित संख्या में मेहमानों व नजदीकी रिश्तेदारों को आमंत्रित कर शादी का रस्म पूरा किया जा रहा है। हालांकि अपवाद अभी भी हावी है। समारोहों की धूम में निर्धारित संख्या के मानकों को लोग नजरअंदाज कर रहे है, तो चालान कार्रवाई का सामना भी करना पड़ रहा है।
ध्वजाधारी धाम के मुख्य महंत महामंडलेश्वर सुखदेव दास जी महाराज ने बताया कि सरकार से दिशा निर्देश मिलने के बाद धाम में वैवाहिक कार्यक्रम करने की अनुमति शर्तों के साथ दी गयी है। इसके तहत वर वधु के माता पिता व परिजनों को धाम में प्रवेश करते ही उन्हें नियमों का कड़ाई से पालन करने, कार्यक्रम के दौरान मास्क, सैनिटाइजर का इस्तेमाल अनिवार्य रुप से करने तथा दोनों पक्षों से सरकार द्वारा निर्धारित संख्या में ही शादी में पहुंचने को कहा जाता है।