निर्दलीयों के गुटनेता कैलास बारणे की गैरमौजूदगी की असली वजह आयी सामने

पिंपरी। स्थायी समिति सदस्यों की नियुक्ति के दौरान निर्दलीय मोर्चा के गुटनेता कैलास बारणे की गैरमौजूदगी पर बड़ा बवाल खड़ा हुआ था। पिंपरी चिंचवड़ मनपा के सियासी गलियारों में चर्चा थी कि निर्दलीय मोर्चा के सदस्य की नियुक्ति को लेकर उनपर भारी दबाव था जिसके चलते वे सर्वसाधारण सभा में गैरमौजूद थे। हालांकि अब बारणे की गैरमौजूदगी की सही वजह सामने आ गई है। वे गत कुछ दिन से बीमार चल रहे हैं और अब उनकी कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है।
रविवार को कैलास बारणे की कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है। वे बीते चार- पांच दिन से बीमार चल रहे थे। इसी वजह से वे स्थायी समिति सदस्यों की नियुक्ति के वक्त सर्वसाधारण सभा में उपस्थित नहीं रह सके। उनकी बजाय निर्दलीय नगरसेविका नीता पाड़ाले ने बारणे के लेटरहेड पर खुद की नियुक्ति वाला पत्र सभागृह में पेश किया। गुटनेता की गैरमौजूदगी पर सभागृह में खासा बवाल मचा था। शिवसेना गुटनेता के साथ निर्दलीय नगरसेवक सत्तादल भाजपा के साथ भिड़ गए थे। इसी हंगामे में नियुक्ति की घोषणा करते हुए सभा स्थगित की गई।
पिंपरी चिंचवड़ मनपा में 5 निर्दलीय नगरसेवक चुने गए हैं जिसके गुटनेता पद पर कैलास बारणे को चुना गया। निर्दलीय मोर्चा में यह तय किया गया था कि हर साल एक के हिसाब से 5 साल में पांचों सदस्यों को स्थायी समिति में मौका दिया जाएगा। इसके अनुसार पहले साल खुद बारणे, दूसरे साल साधना मलेकर और तीसरे साल झामाबाई बारणे की नियुक्ति की गई। हालांकि बारणे को लगातार दो साल पद पर बने रहने का मौका मिला। अब बचे हुए एक साल में नवनाथ जगताप या नीता पाड़ाले में से किसी एक को मौका मिलना था। मगर सभागृह में कैलास बारणे गैरमौजूद रहे और नीता पाड़ाले की नियुक्ति का पत्र महापौर को सौंपा गया। इस पर शिवसेना के गुटनेता राहुल कलाटे ने कड़ी आपत्ति जताई।
सभाशास्त्र के नियमानुसार गुटनेता अगर सभागृह में उपस्थित नहीं रहने की सूरत में सभा से पहले उनके द्वारा नियुक्ति का पत्र बन्द लिफाफे में महापौर और मनपा आयुक्त को सौंपना जरूरी है। ऐसा हुआ नहीं और खुद पाड़ाले ने अपनी नियुक्ति संबन्धी कैलास बारणे का पत्र सभा में महापौर को सौंपा। इस पर काफी बवाल मचा। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस के नगरसेवकों ने महापौर का मानदंड छीनने की कोशिश की। इस दौरान निर्दलीय नगरसेवक नवनाथ जगताप और भाजपा के शत्रुघ्न काटे के बीच जमकर विवाद हुआ और बात एकदूसरे पर दौड़े जाने एवं धक्कामुक्की तक पहुंच गई। एकदूसरे के रिश्तेदार रहे नवनाथ जगताप और भाजपा विधायक लक्ष्मण जगताप के बीच कुछ महीनों से 36 का आंकड़ा बना हुआ है। इसलिए माना जा रहा था कि नवनाथ की बजाय नीता पाड़ाले को स्थायी समिति सदस्य नियुक्त करने को लेकर गुटनेता कैलास बारणे पर भारी दबाव था। इसी वजह से वे सभागृह में मौजूद नहीं रहे। हालांकि अब उनकी गैरमौजूदगी सही वजह सामने आ गई है।