आस्था का महापर्व छठ…व्रती आज शाम अर्पित करेंगे अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम    देशभर में  छठ महापर्व की धूम है। महापर्व के तीसरे दिन आज शुक्रवार को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।  रविवार को चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का समापन होगा। रंग-बिरंगी रोशनी से सजे-धजे घाट छठ के सौंदर्य की छठा बिखेर रहे हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण कई राज्यों में सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

यूं तो इस पर्व में देवता के रूप में सूर्यदेव की ही प्रतिष्ठा है,पर तिथि के कारण ये छठ नाम से प्रसिद्ध हो गया है। वैसे तो यह पर्व वर्ष में दो बार चैत्र और कार्तिक मास में मनाया जाता है। पर इनमें तुलनात्मक रूप से अधिक प्रसिद्धि कार्तिक मास के छठ की ही है। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर यह पर्व कार्तिक शुक्ल सप्तमी को भोर का अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है।  संभवतः यह अपने आपमें ऐसा पहला पर्व है, जिसमें कि डूबते और उगते दोनों ही सूर्यों को अर्घ्य दिया जाता है; उनकी वंदना की जाती है। सांझ-सुबह की इन दोनों अर्घ्यों के पीछे हमारे समाज में एक आस्था काम करती है। वो आस्था यह है कि सूर्यदेव की दो पत्नियां हैं– ऊषा और प्रत्युषा। सूर्य के भोर की किरण ऊषा होती है और सांझ की प्रत्युषा, अतः सांझ-सुबह दोनों समय अर्घ्य देने का उद्देश्य सूर्य की इन दोनों पत्नियों की अर्चना-वंदना होता है। इसके गीत तो धुन, लय, बोल आदि सभी मायनों में एक अलग और अत्यंत मुग्धकारी वैशिष्ट्य लिए हुए होते हैं।

छठ के विषय में  पौराणिक मान्यताएं तो ऐसी हैं कि अब से काफी पहले रामायण अथवा महाभारत काल में ही छठ पूजा का आरम्भ हो चुका था। कोई कहता है कि सीता ने, तो कोई कहता है कि द्रोपदी ने सर्वप्रथम यह छठ व्रत और पूजा की थी। अब जो भी हो, पर इतना अवश्य है कि अगर आपको भारतीय श्रृंगार, परम्परा, शालीनता, सद्भाव और आस्था समेत सांस्कृतिक समन्वय की छटा एकसाथ देखनी हो तो अर्घ्य के दिन किसी छठ घाट पर चले जाइए। आप वो देखेंगे जो आपके मन को प्रफुल्लित कर देगा।
आज शाम को सूर्य देव को अर्घ्य देकर उनका पूजन किया जाता है। इस दौरान प्रसाद औऱ फल टोकरी और सूप में रखे जाते हैं। सभी व्रती उगते सूरज को डाल पकड़कर अर्घ्य देते हैं।

छठ पूजा का शुभ मुहूर्त : शुक्रवार 20 नवंबर को सूर्यास्त: 05:26 बजे होगा। व्रती महिलाएं सूर्यास्त होने से पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दे सकती हैं। वहीं, शनिवार 21 नवंबर को सूर्योदय सुबह 6:45 बजे होगा। व्रती महिलाएं सूर्यदेव को दूसरा अर्घ्य इससे पहले दे सकती हैं।