प्रवासी मजदूरों की सुध….लेबर कोड के साथ ही खास पोर्टल बनाया सरकार ने 

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : कोरोनाकाल में लॉकडाउन लागू होते ही देश ने भयानक मंजर देखा। नंगे पांव प्रवासी मजदूरों की व्यथा ने पूरे देश को व्यथित कर दिया। दिल दहला देने वाले हालात, पहले रोजगार की खोज में अपने गांवों को छोड़ कर शहर जाने को मजबूर हुए और फिर अब नौकरी छूटने के कारण घर वापसी। कई की तो भूख प्यास से रास्ते में मौत भी हो गई। प्रवासी मजदूरों का यह संकट अभूतपूर्व था। उनके दर्द पर  ध्यान गया तो सरकार ने प्रवासियों को घर वापस लाने के लिए ट्रेनें शुरू की हैं, यह जानते हुए भी कि इससे गांवों में कोरोना संक्रमण के फैल जाने का खतरा है।

सरकार जानती थी कि प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटने के लिए अधीर हैं। ऐसा किया जाना जरूरी भी था। उन्हें गरिमा के साथ घर पहुंचाए जाने के अलावा रोज़गार भी दिए जाने की भी आवश्यकता महसूस हुई। लॉकडाउन खुलने के बाद बहुत से प्रवासी मजदूर वापस लौटे, लेकिन अभी भी बहुत सारे मजदूर अपने ही गांव में फंसे हुए हैं और उनके पास करने के लिए कोई काम नहीं है। ऐसे गरीब लोग भी इस बजट से काफी उम्मीदें कर रहे थे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट शुरू करते ही कहा कि सरकार एक पोर्टल शुरू करने जा रही है, जिसके जरिए प्रवासी मजदूरों की जानकारी जुटाई जा सकेगी। इसमें बिल्डिंग वर्कर्स और मैन्युफैक्चरिंग वर्कर्स समेत सभी वर्गों के मजदूर होंगे। सरकार ने घोषणा की है कि लेबर कोड को लागू करने की कोशिश जारी रहेगी, जिससे न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित की जाएगी।

बता दें कि मोदी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना शुरू कर दी थी, जिससे 80 करोड़ लोगों को फायदा मिला। आत्मनिर्भर पैकेज दिए, जिसके जरिए करीब 27.1 लाख करोड़ रुपये दिए। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि महिलाएं हर कैटेगरी के काम कर सकेंगी और उन्हें नाइट शिफ्ट करने की भी इजाजत होगी। ये सब नए लेबर कोड के जरिए लागू किए जाने की योजना है। बजट में स्टैंडअप इंडिया इंडिया के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए मार्जिन मनी की जरूरत 25 परसेंट से घटाकर 15 परसेंट की गई।

साथ ही बताया कि राशन कार्ड स्कीम को भी 32 राज्यों में लागू करने की प्रक्रिया जारी है और इसे तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे गरीबों को मदद मिल सके। पीएम स्वामित्व योजना शुरू की गई थी, जिससे तहत लोगों को गांव में उनकी जमीन का पट्टा दिया जा रहा था। 1241 गांव में लोगों को पट्टे दिए जा चुके हैं और वित्त वर्ष 2021-22 में भी राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को उनकी जमीन का पट्टा दिया जाएगा। इससे गरीबों के पास जो जमीन है, उसका पुख्ता प्रमाण उन्हें मिल सकेगा।