मुख्यमंत्री ने ‘वर्षा’ में ही की आषाढ़ी एकादशी की पूजा

हिंगोली के जाधव दंपति को मिला पंढरपुर की सरकारी पूजा का सम्मान

मुंबई। पुणे समाचार ऑनलाइन

आरक्षण समेत अन्य मांगों को लेकर मराठा समाज की आक्रामकता को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पंढरपुर में आषाढ़ी एकादशी पर सरकारी पूजा में शामिल न होने की घोषणा की है। सोमवार को उन्होंने मुख्यमंत्री निवास ‘वर्षा’ में ही अपनी पत्नी अमृता के साथ आषाढ़ी एकादशी की पूजा की और भगवान विट्ठल कि कृपा से ही हेलीकॉप्टर हादसे में बचने संबंधी ट्वीट किया। यहां पंढरपुर में आषाढ़ी एकादशी की सरकारी पूजा का सम्मान हिंगोली के जाधव दंपति को मिला। शेगांव तालुका के भगवती गाँव के निवासी अनिल और वर्षा जाधव के हाथों भगवान विट्ठल रुक्मिणी की पूजा की गई।

पंढरपुर में आषाढ़ी एकादशी की सरकारी पूजा के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इस पूजा में शामिल नहीं हो पाए। इससे पहले 1996 में युति सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी को भी यह पूजा रद्द करनी पड़ी थी। तब मुंबई के रमाबाई अंबेडकर नगर में हुई फायरिंग के विरोध में दलित संगठनों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ आंदोलन की तैयारी की थी। इसके चलते उन्हें सरकारी पूजा रद्द करनी पड़ी थी। इसके अलावा उपमुख्यमंत्री स्व. आर आर पाटिल और अजित पवार को भी विरोध के चलते कार्तिकी यात्रा की सरकारी पूजा रद्द करनी पड़ी थी।

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अब तक पुरे महाराष्ट्र में लाखों की तादाद में मूक मोर्चा निकालने वाले मराठा क्रांति मोर्चा ने अब आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री को पंढरपुर में सरकारी पूजा में शामिल न होने देने की घोषणा की गई थी। मराठा क्रांति मोर्चा के तेवर देखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पूजा में शामिल न होने की घोषणा की। मराठा आरक्षण का फैसला उच्च न्यायालय में ही हो सकता है, यह मालुम होते हुए भी कुछ लोग मराठा समाज को भड़का रहे हैं। अगर मुझपर पत्थर बरसाकर आरक्षण मिलता हो तो मैं तैयार हूं, यह बयान देकर उन्होंने कहा था कि पंढरपुर में दस लाख वारकरी जमा हैं। उनके वहां जाने से वारकरियों की जान को खतरा हो सकता है। इस वजह से पंढरपुर में सरकारी पूजा में जाने की बजाय घर पर ही भगवान विट्ठल की पूजा करूंगा।

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