नदी सुधार परियोजना का फिर से टेंडर तैयार, बजट में आर्थिक प्रावधान की मान्यता हेतु स्थायी समिति के सामने प्रस्ताव

पुणे: बहुचर्चित मुला-मुठा नदी के प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए जापान की जायका कंपनी की मदद से चलाए जा रहे प्रोजेक्ट के अंतर्गत सिवेज और 11 जगहों पर एसटीपी प्लांट निर्माण साथ ही 15 वर्ष इन प्रोजेक्ट के मेंटिनेंस करने का एस्टीमेट 1 हजार 511 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इससे पहले निकाला गया टेंडर 50 प्रतिशत ज्यादा होने के कारण उसे रद्द कर फिर से टेंडर निकाला गया।  आने वाले 31 मार्च को टेंडर प्रस्तुत करने की अंतिम तारीख है।  वही दीर्घ कालीन तक चलने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए बजट में प्रावधान करने के लिए धारा 72 ब के अनुसार कार्यवाही करने की मान्यता देने का प्रस्ताव स्थायी समिति के सामने आया है।

राष्ट्रीय नदी संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत शहर के मुला मुठा नदी के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जायका कंपनी की मदद से परियोजना की शुरुआत की गई। 2015 में जायका कंपनी ने इस परियोजना के लिए 190 करोड़ 26 लाख रुपये का कर्ज नाम मात्र ब्याज पर केंद्र सरकार के माध्यम से मनपा को उपलब्ध करने की तैयारी दिखाई। इसमे से 85 प्रतिशत निधी अर्थात 841 करोड़ 72 लाख रुपये अनुदान के रूप में मनपा को मिलने वला है बाकी की रकम मनपा को देगी।

जनवरी 2016 में राष्ट्रीय नदी संवर्धन संचालनालय (एनआरसीडी) ने इस परियोजना को प्रशासकीय मान्यता देने के बाद मनपा द्वारा तैयार किए गए रूपरेखा को विविध समितियो ने साथ ही मुख्य सभा ने मानय्ता दी। मनपा ने शुरुआत में एसटीपी प्लांट के साथ उसे जोड़ने वाले सिवेज का काम व अन्य कामों का 6 पैकेज में टेंडर तैयार किया था। इसमे से चार पैकेज का टेंडर 50 प्रतिशत से भी अधिक कीमत के थे। इसलिए मनपा प्रशासन ने इस टेंडर को रद्द कर दोबारा से टेंडर निकालने की इजाजत मिले, इसके लिए एनआरएसडी के साथ पत्र व्यवहार किया। विशेष रूप से एक ब्लैकलिस्ट कंपनी को यह काम मिले इसके लिए केंद्रीय स्तर पर प्रयत्न शुरू होने के कारण टेंडर निकालने के लिए देर से इजाजत मिलने की चर्चा हो रही थी।

पिछले वर्ष सितंबर में जायका कंपनी द्वारा फिर से टेंडर निकालने को हरी झंडी दिखाने के बाद दिल्ली में हुई बैठक में संपूर्ण परियोजना का नए रूप से एस्टीमेट तैयार कर टेंडर निकालने का तय हुआ। इसके अनुसार मनपा प्रशासन ने संपूर्ण परियोजना का एस्टीमेट तैयार किया। यह पहले की तुलना में 305 करोड़ रुपये सए बढ गया है। इसमे देखभाल दुरुस्ती के 216 करोड़ रुपयेबढ गए हैं। एस्टीपी प्लांट के लिए कुछ जगहो का अभी तक अधिग्रहण नहीं किया गया है। हालांकि प्रशासन ने केंद्र के आदेश के बाद नगद नुकसान भरपाई देकर इन जगहों को अधिग्रहण करने के प्रस्ताव को मान्यता दी है, अब इसका रास्ता भी साफ है। यह सुधारित एस्टीमेट मुख्य सभा के निदर्शन में लाना साथ ही अगले साल से परियोजना के लिए बजट में आर्थिक प्रावधान करने के लिए 72 ब के अनुसार मुख्य सभा की इजाज़त लेने का प्रस्ताव स्थायी समिति के सामने रखा है।