सर्वे…अधिकतर अभिभावक चाहते हैं कि अप्रैल के बाद ही खुले स्कूल, जब कोविड शांत पड़ जाए 

मुंबई. ऑनलाइन टीम : देश भर के सभी राज्यों में आज 4 जनवरी से सभी स्कूल लगभग खुल गए हैं। महामारी के दौरान वर्ष 2020-21 की बाधित हुई शैक्षणिक गतिविधियों और सिलेबस को पूरा करने और कुछ ही माह के बाद आयोजित की जाने वाली बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनजर खोले जाने का घोषणा सम्बन्धित सरकारों की पहले ही की जा चुकी है। साथ ही, इन राज्यों की सरकारों द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी कोविड-19 से सम्बन्धित निर्देशों और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स के पालन को सुनिश्चित करते हुए स्कूलों में सीनियर कक्षाओं के लिए नियमित कक्षाओं को लगाने की अनुमति दी गयी है

इस बीच, एक सर्वे में 70 फीसदी अभिभावकों ने कहा है कि वे चाहते हैं कि उनके राज्य में स्कूल अप्रैल के बाद ही खोले जाएं, जब कोविड-19 थोड़ा कम हो जाए।  हालांकि कुछ अभिभावक 10वीं और 12वीं के अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं, क्योंकि उन्हें बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करनी हैं। यह सर्वे लोकल सर्कल द्वारा किया गया था, जो दिल्ली का कम्युनिटी पर आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जिसमें 224 जिलों के 19000 अभिभावकों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। इसमें 58 फीसदी Tier 1 जिलों, 21 फीसदी Tier 2 जिलों और 21 फीसदी Tier 3 जिलों और ग्रामीण इलाकों के थे। 2000 अभिभावकों ने अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसमें से 52 फीसदी का कहना है कि वे नहीं चहते कि उनके राज्य में स्कूल अप्रैल 2021 से पहले खुलें। इनमें से 1325 अभिभावक मुंबई के थे।
अभिभावक इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि कहीं बच्चों को कोरोना होने पर घर के बुजुर्ग सदस्य पर इसका बुरा प्रभाव न पड़े। उनका मानना है कि अगर स्कूल खोलते है और बच्चों को स्कूल बुलाया जाता है तो कोरोना के मरीजों में तेजी से इजाफा होगा, क्योंकि स्कूल में शारीरिक दूरी का पालन संभव नहीं है। बता दें कि कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया में कहर बरपाया है। करोड़ों लोग इससे संक्रमित हुए हैं और लाखों की जान जा चुकी है। कोरोनावायरस ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाया है, इसी के साथ बच्चों के भविष्य पर भी प्रभाव डाला है। एक रिपोर्ट में लिखा गया है कि मानव इतिहास में पहली बार वैश्विक स्तर पर बच्चों की एक पूरी पीढ़ी की शिक्षा बाधित हुई। इसके परिणामस्वरूप जो आर्थिक तंगी देखी जाएगी, उसके कारण आने वाले वक्त में स्कूलों के एडमिशन पर बुरा असर पड़ेगा।