आप नेता संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से दी राहत 

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह  को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को लेकर गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

आम आदमी पार्टी के राज्यसभी सांसद संजय सिंह पर आरोप है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के जातिवादी होने को लेकर फोन सर्वे कराया था। इस मामले को लेकर दो सितंबर को हजरतगंज थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। सर्वे करने वाली प्राइवेट कंपनी के तीन निदेशकों पर भी राजद्रोह और धोखाधड़ी की धारा बढ़ाई गईं है।  एक माह के भीतर अलग-अलग शहरों में संजय पर 13 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। संजय सिंह ने इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। संजय ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक बदले की भावना से उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी एफआईआर को रद्द करने के लिए उनकी याचिका पर भी नोटिस जारी किया।  संक्षिप्त सुनवाई के बाद, पीठ ने निर्देश दिया कि सिंह को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए और मामले को मार्च के तीसरे सप्ताह में आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।

सिंह ने लखनऊ, संतकबीर नगर, खीरी, बागपत, मुजफ्फरनगर, बस्ती और अलीगढ़ आदि में दर्ज आठ एफआईआर का हवाला दिया था। उनके वकील विवेक तन्खा ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि चूंकि सिंह राज्यसभा सदस्य थे, इसलिए उनके खिलाफ प्रॉसीक्यूशन की अनुमति उच्च सदन के सभापति द्वारा दी जानी चाहिए थी। तन्खा ने कहा कि आप नेता के खिलाफ दर्जन भर जगहों पर एक जैसी एफआईआर दर्ज की गई है।

भारतीय दण्ड संहिता  की धारा 124 ए में राजद्रोह की परिभाषा के अनुसार अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए में राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है। इसके अलावा अगर कोई शख्स देश विरोधी संगठन के खिलाफ अनजाने में भी संबंध रखता है या किसी भी प्रकार से सहयोग करता है तो वह भी राजद्रोह के दायरे में आता है। इसके तहत आरोपी के दोषी पाए जाने पर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।