डकैतों का सोना हड़पने के लिए टेस्ट ड्राइव के बहाने चुराई आलीशान कार

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन – डकैती में लूटा गया सोना हड़पने के लिए टेस्ट ड्राइव के बहाने से एक आलीशान कार चोरी की वारदात की गुत्थी को निगड़ी पुलिस की डिटेक्शन ब्रांच ने सुलझा लिया है। इस मामले में दत्तात्रेय आण्णा डुबे (31, निवासी करमाला, सोलापुर) व दत्तात्रेय पांडुरंग रंधवे (28, निवासी तलेगांव दाभाडे, पुणे, मूल निवासी करमाला, सोलापुर) को गिरफ्तार किया है। उनके अन्य एक साथी की तलाश जारी है।
28 मार्च को प्री ओन्ड कार विक्री का कारोबार करनेवाले उमेश चौधरी के पास से वोक्सवैगन की ”जेटा” नामक आलिशान कार टेस्ट ड्राइव के बहाने से चुरा ली गई।  माहभर बाद चौधरी के दोस्त ने इस कार को मोशी स्पाइन रोड पर देखा था। उसने चौधरी के साथ कार का पीछा भी किया था मगर नाकाम रहे। जब उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दी तब पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की। इस पर चौधरी ने सीधे पुलिस आयुक्त आर. के. पद्मनाभन से इसकी शिकायत की।
इस बीच चोरी की गई कार देहूरोड पुलिस ने चेकिंग के दौरान पकड़ ली लेकिन तब यह कार चोरी की है और उसमें सवार चोर हैं यह पुलिस के ध्यान में नहीं आया। पुलिस ने कार जब्त कर ली औऱ उन्हें कार के कागजात लाने को कहा गया। यहां पुलिस आयुक्त के आदेश से निगड़ी पुलिस थाने के डीबी के सहायक पुलिस निरीक्षक लक्ष्मण सोनवणे, कर्मचारी सतिश ढोले, किशोर पढेर, तुषार गेंगजे की टीम कार चोरी के मामले की जांच में जुटी थी। रविवार को इस टीम ने डुबे व रंधवे को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में उन्होंने बताया कि, उन दोनों ने अपने तीसरे साथी के साथ मिलकर भिगवण के एक डकैत से दो किलो सोना खरीदने के बहाने से हड़पने की साजिश रची थी। उनकी सोच थी कि अगर सोना हड़प भी लिया तो लूटे हुए सोने की शिकायत करने कोई पुलिस में नहीं जाएगा। सोने का खरीददार अमीर लगना चाहिए इसलिए उन्होंने आलीशान कार चोरी का प्लान बनाया था। कार चुराने के बाद वे चिखली में आये थे वहां एक जगह पर कार छोड़कर वे निकल गए थे। 20 दिन तक कार वहीं खड़ी थी।
इसके बाद रंधवे ने कार अपने दोस्त के घर पर पार्क की। उस दोस्त की माँ 28 अप्रैल को गांव से आई तो उसे लेने के लिए बस स्टैंड जाते वक्त चौधरी के दोस्त ने कार देखी और उसका पीछा किया। तब उसकी मां को रिक्शा में बैठाकर वे कार लेकर भाग गए। वहाँ से वे नँबर प्लेट बदलने के लिए तलवड़े गए जहां देहूरोड पुलिस ने कार चेकिंग में उन्हें पकड़ लिया। कागजात लाने को कहकर उन्हें छोड़ दिया गया। इस कार को वापस पाने के लिए उन्होंने पुलिस को एक विधायक के पीए के नाम से फोन भी किया था। हालांकि तब तक पुलिस आयुक्त के पास शिकायत पहुंचने से उन पूरा प्लान चौपट हो गया और वे निगड़ी पुलिस के हत्थे चढ़ गए।