बीमारी से उबरते ही रजनीकांत ने कहा-माफ करें, अब राजनीति नही करूंगा, पार्टी भी लांच नहीं करूंगा 

चेन्नै. ऑनलाइन टीम : तमिल सुपरस्टार रजनीकांत की इंट्री हमेशा जानदार होती है। जब भी फिल्मों में लोग उन्हें देखते थे, बोल उटते थे कि अब कुछ होगा। पिछले दिनों उन्होंने राजनीति में आने की ठानी, तो लगा दक्षिण में काफी कुछ बदलाव होने वाला है। इसी बीच, हैदराबाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। परेशानी उबरे तो सीधे ऐलान किया कि अब राजनीति में नहीं आऊंगा।  अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर लौटे रजनीकांत ने फैंस से माफी मांगते हुए कहा कि वह अब अपनी पार्टी लॉन्च करने का फैसला वापस लेते हैं। हालांकि जनता के लिए काम करते रहेंगे। रजनीकांत ने कहा कि बीमारी ने बहुत कुछ सिखा दिया। वैसे उन्हें किसी तरह की गंभीर समस्या नहीं है। हालांकि डॉक्टरों ने उन्हें अभी बेड रेस्ट की सलाह दी है। साथ ही तनाव से दूर रहने को कहा है।

रजनीकांत ने तमिल में जारी बयान में कहा कि उनका दर्द बयां नहीं किया जा सकता है। रजनीकांत ने कहा, यदि मैं पार्टी शुरू करने के बाद केवल मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करता हूं, तो मैं लोगों के बीच पार्टी से जुड़ने की वजह पैदा नहीं कर पाऊंगा और (आगामी तमिलनाडु) चुनावों में बड़ी जीत हासिल नहीं कर पाऊंगा। राजनीतिक अनुभव वाला कोई भी व्यक्ति इस वास्तविकता से इनकार नहीं करेगा।

दक्षिण के सुपरस्टार ने आगे कहा, चुनावी राजनीति में उतरे बिना जनता की सेवा करने के लिए जो कुछ भी बन सकेगा मैं करूंगा। मैं सच बोलने से कभी नहीं हिचकिचाया और मैं ईमानदारी से और पारदर्शिता से प्यार करने वाले तमिलनाडु के प्रशंसकों और लोगों से निवेदन करता हूं कि वो मेरे इस निर्णय को स्वीकार करें।

रजनीकांत ने इसी महीने की शुरुआत में राजनीति में अपनी एंट्री की आधिकारिक घोषणा की थी। रजनीकांत की इस घोषणा के बाद से ही तमिलनाडु की राजनीति में हलचल तेज हो गई थी। यहां तक कि बीजेपी ने रजनीकांत के साथ समझौते के लिए सभी विकल्प भी खोल दिए थे। यह भी कहा जाने लगा था कि तमिलनाडु को बीजेपी की सीएम चेहरे की तलाश भी पूरी हो जाएगी। उनके फैन्स भी इस घोषणा का 2 दशक से इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने राजनीति में न आने का फैसला कर फिर से चौंका दिया है।

बता दें कि साउथ के मशहूर फिल्म स्टार रजनीकांत ने 24 साल पहले एक राजनीतिक बयान दिया था, जिसने साल 1996 के विधानसभा चुनावों में AIADMK के सपनों पर पानी फेर दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर जयललिता सत्ता में आती हैं तो भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकते इसके बाद डीएमके को चुनाव में जबरदस्त सफलता मिली थी।