… इसलिए दिल्ली की एक विशिष्ट लॉबी परमबीर सिंग से नाराज!

अंबानी के घर के पास मिले एक विस्फोटक मामले ने राज्य में माहौल को बिल्कुल हिला कर रख दिया है। एनआईए द्वारा सचिन वाझे को गिरफ्तार किए जाने के बाद विपक्ष लगातार सरकार पर निशाना साध रहा है। आरोपों के मद्देनजर मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के साथ ही कुछ पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया। शिवसेना ने इन बदलावों पर टिप्पणी की है। बदलाव के पीछे के कारणों को बताते हुए शिवसेना ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है।

सचिन वाझे की गिरफ्तारी के बाद राज्य की राजनीति गर्म है। इस मुद्दे के बाद ठाकरे सरकार ने मुंबई के पुलिस आयुक्त का तबादला कर दिया। इस बदलाव को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। इस मुद्दे पर, शिवसेना ने सामना के संपादकीय के माध्यम से एक अलग ही पक्ष रखा है। मुंबई के कर्माइकल रोड पर जिलेटिन की 20 छड़ो से भरी कार मिली । उन छड़ो में विस्फोट नहीं हुआ, लेकिन पिछले कुछ दिनों से राजनीति और प्रशासन में ये विस्फोट जरूर हो रहा है। इन सभी मामलों में मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। राज्य के पुलिस महासंचालक हेमंत नागराले को मुंबई का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है, जबकि रजनीश शेठ को नया पुलिस महासंचालक नियुक्त किया गया है। ये ट्रांसफर वो नहीं हैं जिन्हें हम साधारण ट्रांसफर कहते हैं। कुछ विशिष्ट परिस्थितियों के कारण सरकार को यह बदलाव करना पड़ा है। नए पुलिस आयुक्त नगराले को कहा गया है कि पुलिस ने जो गलती की है उन गलतियों को ना दोहराएं। नागराले ने कहा कि पुलिस की प्रतिष्ठा को बरकरार रखा जाएगा। उनका यह कथन महत्वपूर्ण है। मुकेश अंबानी के घर के पास मिली संदिग्ध गाड़ी और फिर कार मालिक मनसुख हिरेन का संदिग्ध मौत ये बहुत ही चिंताजनक है। यह सच है कि विपक्ष ने इस मामले में कुछ सवाल उठाए, लेकिन एनआईए ने जल्दबाजी में जांच शुरू की।  जबकि राज्य के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने हत्या का मामला दर्ज किया था और जांच भी शुरू की थी। शिवसेना ने भाजपा पर आरोप लगाया है भाजपा महाराष्ट्र सरकार को बदनाम करने की हर संभव कोशिश कर रही है।

सुशांत सिंह राजपूत और उनका परिवार सब कुछ भूल चुका है…

यह मामला क्राइम ब्रांच के एक सहायक पुलिस निरीक्षक के इर्द-गिर्द घूम रहा है और इसके पीछे का मकसद भी जल्द ही सामने आएगा। किसी भी परिस्थिति में जब आतंकवाद का तार जुड़ा नहीं फिर भी एनआईए को इस अपराध की जांच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।  एनआईए आतंकवाद के मामलों की जांच करती है; लेकिन इस जिलेटिन की छड़ो की जांच करने वाली एनआईए ने उरी हमले, पठानकोट हमले और पुलवामा हमले में क्या किया, सच्चाई क्या थी और कितने अपराधी गिरफ्तार किए गए, यह भी एक रहस्य है। लेकिन मुंबई में 20 जिलेटिन की छड़ें एनआईए के लिए सबसे बड़ी चुनौती दिख रही हैं। इन सभी मामलों के घटनाक्रम का श्रेय राज्य में विपक्ष ले रहा है। गिरफ्तार किए गए वाझे के पीछे असली मास्टरमाइंड कौन है? आदि सवाल उन्होंने पूछे हैं। मनसुख हिरेन की संदिग्ध रूप से मृत्यु हो गई और सभी को इसका दुख है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को गहरा दुख हुआ है, लेकिन उनके एक सांसद रामस्वरुप शर्मा का संसदीय सत्र के दौरान दिल्ली में संदिग्ध रूप से निधन हो गया। शर्मा एक मजबूत हिंदुत्ववादी विचारक थे। बीजेपी उनकी संदिग्ध मौत के बारे में नहीं सोचती है। मोहन डेलकर की आत्महत्या पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। सुशांत सिंह राजपूत और उनका परिवार सब कुछ भूल चुका है। किसी की मौत को कैसे भुनाना है इसे मौजूदा विपक्ष से सीखना चाहिए। मुंबई पुलिस का मनोबल गिराने का प्रयास इस समय किया जा रहा है। विपक्ष को ऐसा पाप नहीं करना चाहिए। अगर विपक्ष ने महाराष्ट्र में सत्ता में आने का सपना देखा है, तो यह उनका सवाल है, लेकिन इस तरह का उपद्रव करके सत्ता में वापस आएंगे, यह उनका भ्रम है ।

सिंह पर दिल्ली की एक विशिष्ट लॉबी नाराज

पुलिस जैसे संस्थान राज्य की रीढ़ हैं। उसकी प्रतिष्ठा को बनाए रखना होता है। यदि विपक्ष महाराष्ट्र के प्रति वफादार है, तो यह पुलिस की प्रतिष्ठा का राजनीतिकरण नहीं करेगा। मनसुख मामले के पीछे पॉलिटिकल बॉस कौन है, उनका सवाल है। उन्हें इसका जवाब ढूंढना चाहिए। लेकिन ऐसे मामले में कोई पॉलिटिकल बॉस नहीं होता है। यह महाराष्ट्र की परंपरा नहीं है। अगर मनसुख की हत्या हुई है तो अपराधी बच नहीं पाएंगे। अगर उसने आत्महत्या की है,  तो इसके पीछे के कारणों की जांच की जाएगी और इसके लिए मुंबई सहित राज्य में पुलिस बल में बड़े फेरबदल किए गए हैं। विपक्ष को यह सुनिश्चित करना चाहिए। मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से परमबीर सिंह के स्थानांतरण का मतलब यह नहीं है कि वह एक अपराधी है। उन्होंने बहुत मुश्किल समय में मुंबई के पुलिस आयुक्त का पदभार संभाला। उन्होंने कोरोना संकट से लड़ने के लिए पुलिस में उत्साह पैदा किया। धारावी जैसे क्षेत्रों में वे खुद ही जाते थे। सुशांत और कंगना जैसे मामलों में, उन्होंने पुलिस के धैर्य को डगमगाने नहीं दिया। फिर सीबीआई इस मामले में आगे आई,  लेकिन मुंबई पुलिस की जांच से आगे सीबीआई नहीं जा सकी। उनके समय में टीआरपी घोटाले की फाइल खुली। इसी कारण परमबीर सिंह पर दिल्ली की एक विशिष्ट लॉबी नाराज है। उनके कारण ही 20 जिलेटिन की छड़ें मिलीं। उन छड़ो का विस्फोट नहोते हुए भी पुलिस हिल गई। नए आयुक्त हेमंत नागरले को साहस और सावधानी के साथ काम करना है। यह सलाह शिवसेना ने नव नियुक्त पुलिस आयुक्त को दी है।