शॉकिंग! क्या ‘क्वीन ऑफ खंडाला’ सपना बन जाएगा 

पुुुणे : समाचार ऑनलाइन –  ऑर्किड प्रजाति की वनस्पति ङ्गक्वीन ऑफ खंडालाफ विलुप्ति की कगार तक पहुंच गई है. बोटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इसे सर्वाधिक खतरे में पड़ी वनस्पति की श्रेणी में शामिल किया है. विभाग द्वारा इस वनस्पति के संवर्धन हेतु विशेष प्रयास की अवश्यकता जताई गई है.

प्रजाति दिन-ब-दिन कम हो रही है ऑर्किड के फूलों को नागरिक सर्वाधिक पसंद करते हैं. ऑर्किड की ङ्गक्वीन ऑफ खंडालाफ प्रजाति सिर्फ खंंडाला परिसर में ही पाई जाती है. स्थानीय होने के चलते यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रजाति दिन-ब-दिन कम हो रही है. अब यह विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है. 1965 तक यह प्रजाति खंडाला में बड़ी मात्रा में पाई जाती थी, मगर पिछले कुछ सालों से कंस्ट्रक्शन साइट्स  की संख्या में वृद्धि, विभिन्न डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स व ङ्गक्वीन ऑफ खंडालाफ को लेकर जानकारी के अभाव के चलते यह अब दुर्लभ हो गई है.

क्वीन ऑफ खंडाला के संवर्धन हेतु प्रयास शुरू किए गए  खतरे में पड़ी प्रजातियों के संवर्धन के लिए बोटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया एवं केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के माध्यम से विशेष प्रयास किए जाते हैं. बोटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के एक्सपर्ट डॉ. जीवन जलाल ने कहा कि क्वीन ऑफ खंडाला के संवर्धन हेतु प्रयास शुरू किए गए हैं तथा वनस्पतिशास्त्र के एक्सपर्ट्स इस विषय में स्टडी कर रहे हैं.