मुंबई, 12 जून : पिछले डेढ़ साल से देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। इस अवधि में कई लोगों को वर्क फ्रॉम होम पर निर्भर रहना पड़ा है। इसका परिणाम यह हुआ कि 24 घंटे पति-पत्नी घर में ही होने की वजह से उनके बीच के कई मामले सामने आ रहे है। इस दौरान पारिवारिक हिंसा में भारी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन लॉकडाउन की अवधि में पत्नी की तुलना में पति पर होने वाले अत्याचार में बढ़ोतरी होने की चौंकाने वाला खुलासा पुणे पुलिस के ट्रस्ट सेल ने किया है।
ट्रस्ट सेल की प्रमुख सुजाता शानमे ने बताया कि पिछले डेढ़ वर्ष में तीन हज़ार से अधिक घरेलु विवाद की शिकायत की गई है। इसमें से अधिकांश मामले में मारपीट, शारारिक और मानसिक प्रताड़ना के मामले है। कुछ शिकायतों में ऐसा दावा किया गया है कि झगड़ा होने के बाद उनकी पत्नी बच्चों को लेकर मायके चली गई जो अब तक वापस नहीं आई है। इस वजह से पुरुष को मानसिक प्रताड़ना का सामने करना पड़ा है।
सुजाता शानमे ने आगे बताया कि 24 घंटे बंद कमरे में एक साथ रहने की वजह से पति-पत्नी में मानसिक तनाव बढ़ता गया। छोटी-छोटी बातों को लेकर पति-पत्नी में झगडे होने लगे। ऐसे लोगों को कॉल कर यह परामर्श के जरिये उनका मन बदलने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले डेढ़ साल में महिलाओं की तुलना में पुरुषों के साथ मानसिक प्रताड़ना की शिकायतें बढ़ी है।
लॉकडाउन से पहले एक वर्ष में 1283 लोगों ने पुणे पुलिस के ट्रस्ट सेल से पारिवारिक विवाद की शिकायत की थी। इनमे से 791 शिकायतें पत्नी ने जबकि केवल 252 शिकायतें पुरुषों ने की थी। लेकिन लॉकडाउन के दौरान 15 महीने में घरेलु हिंसा की संख्या बढ़कर 3 हज़ार 75 तक पहुंच गई। इनमें महिलाओं के साथ अत्याचार की शिकायत की संख्या 1540 है जबकि पुरुषों पर होने वाले अत्याचार की संख्या 1535 है। लॉकडाउन के दौरान पुरुषों के साथ होने वाले अत्याचार के मामले की शिकायत बढ़ी है।