तलाक लिए बिना दूसरी शादी करने वाले पति को झटका : कोर्ट ने सुनाई एक साल की सश्रम कारावास की सजा 

पुणे, 21 मई : पहली पत्नी के तलाक लिए बिना चुपचाप दूसरी शादी करने वाले पति को कोर्ट ने एक साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। प्रथमवर्ग न्यायदंडाधिकारी पद्माकर जोंधले ने यह फैसला सुनाया है।  पहली पत्नी से अलग होने के लिए  दोनों की सहमति से तलाक का दावा किया गया था।

मिली जानकारी के अनुसार शैलेश और रेखा की 2 नवंबर 2001 में शादी हुई थी. शादी के कुछ महीने बाद ही शैलेश रेखा को अलग अलग तरह से परेशान करने लगा।  विवाद बढ़ने पर दोनों ने 25 अप्रैल 2005 को कोर्ट में सहमति से तलाक की अर्जी दी थी।  लेकिन इसका फैसला आने से पहले ही शैलेश ने 13 जुलाई 2005 रोजी नेहाशी (नाम बदला हुआ है ) से शादी कर ली. ऐसे में पत्नी के जिन्दा रहते दूसरी शादी करने की वजह से रेखा ने शैलेश और नेहा के खिलाफ प्रथमवर्ग न्यायदंडाधिकारी कोर्ट में याचिका दायर की।

रेखा को हर महीने भरण-पोषण का  खर्च देने का आदेश

दोनों की याचिका पर सुनवाई के दौरान रेखा ने पति से मुआवजा मिलने के लिए आवेदन दिया था।  इसमें कहा गया था कि क़ानूनी रूप से रेखा शैलेश की पत्नी है।  इसलिए कोर्ट ने रेखा को हर महीने 3 हज़ार रुपए देने का आदेश दिया।  इस आदेश के खिलाफ शैलेश ने हाई कोर्ट से मदद मांगी। लेकिन हाई कोर्ट ने उसकी याचिका ख़ारिज कर दी।

रेखा से पहले नेहाशी से शादी होने किया झूठा दावा

शैलेश की 1999 में नेहाशी से शादी हुई है और उस वक़्त तक रेखा से शादी नहीं होने का झूठा दावा किया।  लेकिन सवाल ये उठा कि जब शादी 1999 में हुई तो रजिस्ट्रेशन 2005 में क्यों किया गया ? इसे लेकर आरोपी कोई भी सही सबूत पेश नहीं कर पाया।  इसलिए शैलेश और नेहा के विवाह का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में दी गई तारीख शादी की तारीख को लेकर निर्णायक सबूत नहीं हो सकता है।  इस तरह का फैसला कोर्ट दवारा सुनाया गया।  कोर्ट में इस सबूत से आरोपी कला विवाह 1999 में नहीं बल्कि 2005 में होने की बात साबित हो गई।