Shiv sena | राष्ट्रवादी के 19 विधायकों का जब निलंबन हुआ था तब किसी को लोकतंत्र की हत्या नज़र नहीं आई, सेना का भाजपा पर निशाना 

मुंबई (Mumbai News), 7 जुलाई : (Shiv sena) मानसून अधिवेशन (monsoon session) में भाजपा (BJP) के 12 विधायकों को निलंबित किये जाने की वजह से भाजपा (BJP) ने राज्यभर में आंदोलन कर नाराजगी जाहिर की है।  लेकिन जब देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) मुख्यमंत्री (Chief Minister) थे 2017 में कांग्रेस-राष्ट्रवादी (Congress-Nationalist) के 19 विधायकों को निलंबित किया गया था।  वह लोकतंत्र की सामूहिक हत्या थी. तब किसी को यह बात समझ नहीं आई।  यह सवाल शिवसेना (Shiv sena) ने भाजपा (BJP) से किया है।

सभागृह में अभूतपूर्व हंगामा और उपाध्यक्ष के कक्ष में गली-गलौज, मारपीट करने वाले भाजपा (BJP) के 12 विधायकों को सोमवार को निलंबित कर दिया गया था।  इस मुद्दे पर सामना में बड़ा लेख लिखा गया है।

विरोधियों को लगता है कि 12 विधायकों का निलंबन लोकतंत्र की हत्या है।  लेकिन विधायकों के निलंबन की कार्रवाई पहले भी विधानसभा (Assembly) में घटी है।  जब 2017 में देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) मुख्यमंत्री थे तब कांग्रेस-राष्ट्रवादी (Congress-Nationalist) के 19 विधायकों को निलंबित किया गया था।  वह लोकतंत्र की सामूहिक हत्या थी।  तब किसी को नहीं लगा। 

विधानमंडल (Legislature) में राज्य की समस्या पर चर्चा होनी चाहिए।  पहले से ही अधिवेशन की अवधि छोटी है, इसमें विरोधियों दवारा अड़ंगा डाला जाए  लगे तो क्या करे ? मराठा आरक्षण, ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण (political reservation) को लेकर बाहर  सरकार के खिलाफ भोंपू बजाना, सरकार को आरोपों के कटघरे में खड़ा करना,  लेकिन आरक्षण के  मुद्दे पर जब  विधानसभा  में चर्चा का वक्त आता है तो  हंगामा करते हुए पलायन करना यह विरोधियों की कौन सी रीत है ? यह सीधा सवाल शिवसेना ने किया है।
ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर हमने सरकार को नंगा कर दिया इसलिए हम निलंबन की कार्रवाई की गई।  यह दावा फडणवीस कर रहे है।  विरोधियों ने सरकार को नंगा करने के लिए आखिर क्या किया ? ओबीसी (OBC) समाज के आरक्षण के लिए केंद्र सरकार से एम्पेरिकल डेटा की मांग करने पर भाजपा जवाब नहीं  दे रही है।  मराठा आरक्षण (Maratha reservation) और ओबीसी आरक्षण का विषय केंद्र सरकार की मदद के बिना पूरा नहीं हो सकता है।

छगन भुजबल का सवाल है कि उज्जवला गैस के लिए डेटा का इस्तेमाल किया जाता है।

लेकिन वह ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) के लिए क्यों नहीं दिया जा रहा है ?  केंद्र यह डेटा देती है तो निर्णय लेने में आसानी होगी।

राज्यपाल ने सवाल किया है कि ओबीसी आरक्षण के लिए क्या कर रहे है ? उस वक़्त मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) ने जवाब दिया था कि  केंद्र से डेटा दिलवाने में मदद करे।

मतलब डेटा केंद्र के पास है उसे केंद्र को देना होगा।

 

 

 

 

 

 

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Maharashtra | वह लोकतंत्र की हत्या नहीं थी क्या ? शिवसेना भड़की