डरा अमेरिका…हार की बौखलाहट में ट्रंप करा न दें न्यूक्लियर सर्जिकल स्ट्राइक  

वॉशिंगटन. ऑनलाइन टीम : अमेरिका में भारी उथल-पुथल है। घर में हर मोर्चे पर बिफल होने के बाद भी डोनाल्ड ट्रंप हार मानने को तैयार नहीं। इसलिए उनके अगले कदम को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। उनके समर्थकों को कोहराम भी जारी है। इसे देखते हुए अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने आशंका जताई है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कहीं अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का आदेश न दे दें, क्योंकि  इन हथियारों को लेकर अधिकारी केवल राष्ट्रपति के प्रति ही जवाबदेह हैं।  पेलोसी ने चिंता जताई है कि ‘बौखलाए’ राष्ट्रपति युद्ध छेड़ सकते हैं।

हालांकि डेमोक्रेटिक सहयोगियों को लिखे अपने पत्र में पलोसी ने यह भी कहा कि अगर वह (ट्रंप) स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं देते हैं या उपराष्ट्रपति माइक पेंस एक प्रक्रिया शुरू नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, “अगर राष्ट्रपति स्वेच्छा से कार्यालय नहीं छोड़ते हैं, तो कांग्रेस अपनी कार्रवाई के साथ आगे बढ़ेगी। ताकि खतरे से देश और दुनिया को बचाया जा सके।

दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति के पास यह अधिकार है कि वह न्यूक्लियर लॉन्च कोड के जरिए अपनी सेना को जल, थल या नभ से किसी भी देश पर परमाणु हमले का आदेश दे सकता है। एक बार आदेश मिल जाने के बाद अमेरिकी सेना चाहकर भी मना नहीं कर सकती है। जब भी अमेरिका में कोई नया राष्ट्रपति सत्ता ग्रहण करता है तो उसे ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ की ओर से न्यूक्लियर लॉन्च कोड सौंपे जाते हैं। मतलब यह कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर अधिकारी केवल राष्ट्रपति के आदेश के प्रति बाध्यकारी हैं। ऐसे में इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं कि अगर ट्रंप ने इनके इस्तेमाल का आदेश दिया तो फिर क्या होगा। और  अगर कोई सैन्य कमांडर कानून के आधार पर यह तय कर ले कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का राष्ट्रपति का आदेश अवैध है तो फिर क्या होगा ?

निश्चित ही यह अभूतपूर्व होगा अगर कोई सैन्य अधिकारी परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के राष्ट्रपति के आदेश को इस आधार पर मानने से इनकार कर दें कि कानूनी मूल्यांकन के अनुसार यह आदेश अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सशस्त्र संघर्ष से संबंधित कानूनों के तहत अवैध है।