शक्कर उद्योग के सक्षमीकरण के लिए अनुसंधान कार्य का हो विस्तार

अंतरराष्ट्रीय शक्कर परिषद शुरु

 पुणे : पूर्व केन्द्रीय कृषिमंत्री शरद पवार ने शुक्रवार को पुणे में कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में गन्ने की खेती के कारण अच्छे सामाजिक तथा आर्थिक बदलाव आ रहे है लेकिन गन्ना अनुसंधान संस्थाओं में किया गया निवेश अत्यल्प है। शक्कर उद्योग काे सक्षम बनाने के लिए अनुसंधान कार्य के विस्तार की जरूरत है।

पुणे के मांजरी स्थित वसंतदादा शुगर इन्स्टिट्यूट संस्था द्वारा 31 जनवरी से 2 फरवरी तक शक्कर उद्योग पर द्वीतीय अंतरराष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया गया है। इसका उद्घटन पवार ने शुक्रवार को किया।

इस अवसर पर उपस्थितों को संबोधित करते हुए पवार ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में गन्ने की खेती बढ़ रही है। इस से अच्छे सामाजिक और आर्थिक बदलाव आ रहे है। लेकिन गन्ना अनुसंधान संस्थाओं में किया हुआ निवेश कम होने के कारण मांग होने के बावजूद भी शक्कर उद्योग भविष्य में शक्कर सहित बिजली, इथेनॉल की आपूर्ति नहीं कर सकता। इसलिए अगर शक्कर उद्योग का सक्षमीकरण करना है तो उस संदर्भ के अनुसंधान कार्य का विस्तार होना चाहिए। शक्कर उद्योग के प्रयासों के कारण देश के पांच करोड़ किसान अब 50 लाख हेक्टेयर पर गन्ने की फसल ले रहे है। वर्ष 2025 तक देश की शक्कर की मांग 300 से 330 लाख टन तक पहंुचेगी। इसका विचार करते हुए गन्ना उत्पादकता तथा शक्कर उत्पादन बढ़ाकर यह समस्या सुलझानी होगी।

किसानों को मिलना चाहिए मार्गदर्शन

पवार ने कहा कि सूखा, कीड़, रोग इन संकटों का मुकाबला करने के लिए जैव तकनीक, नैनो तकनीक तथा जनुक तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए। किसानों को गन्ने की बुआई का तकनीकी मार्गदर्शन मिला जरूरी है। उसके लिए उत्पादक से कारखानदार की श्रृंखला मजबूत करनी होगी। और यह तभी संभव होगा जब अनुसंधान संस्थाएं सशक्त होंगी।

इस परिषद में अंतरराष्ट्रीय शक्कर परिषद के कार्यकारी निदेशक डॉ. जोस ऑरिव्ह, पंजाब के सहकारमंत्री सुखजिंदरसिंह रंधावा, वीएसआई उपाध्यक्ष तथा मंत्री दिलीप वलसे पाटील, जलसंपदामंत्री जयंत पाटील, जलसंधारण मंत्री शंकरराव गडाख, गृहराज्यमंत्री सतेज पाटील, शक्कर संघ के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगावकर, वीएसआई के पदाधिकारी विजयसिंह मोहिते पाटील, हर्षवर्धन पाटील, शक्कर आयुक्त सौरभ राव, वसंतदादा शुगर इन्स्टिट्यूट के महानिदेशक शिवाजीराव देशमुख आदि उपस्थित थे।