माथाडी मजदूरों को मिली राहत; सरकार के उस फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन – माथाडी मजदूरों द्वारा माथाड़ी सहकारी संस्था, सहकारी बैंक या राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिये गए कर्ज की किश्तें माथाडी बोर्ड की ओर से उनके वेतन से कटौती करने पर रोक लगाने वाले राज्य सरकार के फैसले पर मुंबई हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इस निर्णय से माथाडी मजदूरों व संगठनों को राहत मिली है, यह विश्वास महाराष्ट्र मजदूर संगठन के अध्यक्ष इरफान सय्यद ने जताया है।
महाराष्ट्र माथाड़ी और अन्य श्रमिक (रोजगार और कल्याण का विनियमन) अधिनियम 1969 माथाडी मजदूरों के जीवन को स्थिरता प्रदान करता है। 50 साल से इसी कानून के अनुसार काम चल रहा है। उसकी प्रविष्टियां की जाती हैं। सहकारिता कानून की चौखट में ये संस्थाएं 1969 से आज तक सफलता पूर्वक चल रही हैं। इस संगठन के माध्यम से माथाड़ी श्रमिकों के गरीब सदस्यों को घर, खेती, बीमारी और बाल विवाह के प्रयोजनों के लिए सहकारी ऋण समितियों से ऋण दिया जाता है। इस कर्ज का भुगतान माथाडी बोर्ड द्वारा मजदूरों के वेतन में से कटौती कर वित्तीय संस्थानों को किया जाता है।
माथाडी बोर्ड का कामकाज बीते 50 सालों से अविरत औऱ सफलता से जारी है। इसके बावजूद लेनदारों के मामलों पर बोर्ड या किसी संस्था के साथ चर्चा किए बिना गलत तरीके से राज्य सरकार ने उपरोक्त निर्णय लिया। इस फैसले के मुताबिक माथाडी मजदूरों द्वारा माथाड़ी सहकारी संस्था, सहकारी बैंक या राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिये गए कर्ज की किश्तें माथाडी बोर्ड को मजदूरों के वेतन से काटने का अधिकार नहीं होगा।माथाडी मंडल माथाडी कार्यकर्ताओं का मालिक नहीं है, ऐसा सरकार ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है। इससे सहकारी संस्थाओं की कमर टूट जाएगी, यह बताकर महाराष्ट्र मजदूर संगठन के अध्यक्ष इरफान सय्यद ने फैसले का विरोध किया।
इस फैसले का विरोध जताने वाले महाराष्ट्र मजदूर संगठन से संलग्न रायरेश्वर माथाडी कामगार सहकारी पतसंस्था और मातोश्री माथाडी कामगार सहकारी पतसंस्था समेत अन्य संस्थाओं ने सरकार के आदेश को मुंबई हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस याचिका पर सुनवाई होने तक सरकार के आदेश पर न्यायाधीश एम. एस. कार्णिक और आर.आय.छागला की पीठ ने रोक लगा दी है। इससे माथाडी मजदूरों को राहत मिली है। माथाडी मजदूरों के काम का स्वरुप, अनिश्चित वेतन के कारण इन मजदूरों को कोई बैंक या संस्था कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होती थी। इसके चलते माथाडी मजदूर संगठनों ने पतसंस्था शुरू कर मजदूरों की दिक्कतें दूर की थी, यह जानकारी इरफान सय्यद ने दी है।