सस्ते कर्ज की आस को RBI का ‘झटका’!

समाचार ऑनलाइन- आज RBI ने रेपो रेट में कटौती नहीं करके एक बड़ा झटका दिया है, जिसका खामियाजा लोन लेने वाले ग्राहकों को उठाना पड़ेगा. क्योंकि वे आस में थे कि अगर RBI रेपो रेट में कटौती कर देती है, तो उनकी लोन ब्याज दरें घट जाएंगी या फिर वे सस्ती दरों पर लोन ले सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालाँकि RBI के इस फैसले को आर्थिक दृष्टी से एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है.

वहीं दूसरी ओर RBI के इस फैसले के बाद सेंसेक्‍स 40 अंक लुढ़क कर 40 हजार 800 के स्‍तर पर आ गया. बल्कि RBI के निर्णय से पहले लगभग दोपहर 11.30 बजे सेंसेक्‍स 113.43 अंकों की तेजी के साथ 40,963.72 पर और निफ्टी लगभग इसी वक्त 26.05 अंकों की तेजी के साथ 12,069.25 पर कारोबार कर रहे थे.

बता दें कि RBI आज मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक थी, जिसमें हालिया अर्थव्यवस्था की हालात को देखते हुए रेपो रेट में कटौती न करने का फैसला लिया गया है. RBI के इस निर्णय के बाद रेपो रेट 5.15 फीसदी पर यथावत् है.

बता दें कि जीडीपी वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.5 फीसदी रही, जो छह साल का न्यूनतम स्तर है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में यह 5 फीसदी थी. वहीं आरबीआई ने दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में रिटेल महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 4.7-5.1% कर दिया है. पिछली बार 3.5% से 3.7% का अनुमान था. इसके अलावा आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट को 4.90 फीसदी और बैंक रेट को 5.40 फीसदी पर रखा है.

पहले भी हो चुकी है कटौती…

बता दें कि जारी वर्ष में अबतक 5 बार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कुल 1.35 की कटौती की गई है. इससे पहले रेपो रेट में आखिरी कटौती 0.25 फीसदी की अक्‍टूबर 2019 में हुई थी, जिसके बाद रेपो रेट 5.15 फीसदी पर पहुंच गया था. लेकिन बताया जा रहा है कि बैंकों ने अपेक्षा के मुताबिक ग्राहकों तक इसका फायदा नहीं पहुंचाया है. आस्ट्रेलिया की ब्रोकरेज कंपनी मक्वैरी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि इस दौरान बैंकों ने सिर्फ 0.29 फीसदी कटौती ही आगे ग्राहकों तक पहुंचाई है.

क्‍या होता है रेपो रेट?

यह जानना जरूरी है कि आखिर रेपो रेट क्या होता है. आपको बता दें कि केंद्रीय बैंक RBI रेपो रेट के आधार पर ही बैंकों को कर्ज देता है. रेपो रेट जितना कम होता है, बैंकों के लिए उतना ही लाभकारी होता है. रेपो रेट कटौती होने के बाद बैंकों पर ब्‍याज दर कम करने का दबाव बनता है. RBI द्वारा प्रत्येक दो महीने में मौद्रिक नीति की बैठक में रेपो रेट की समीक्षा की जाती है.

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