RBI Monetary Policy | कर्जदारों को राहत, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

नई दिल्ली –  (RBI Monetary Policy) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) ने मॉनिटरी पॉलिसी (RBI Monetary Policy) की घोषणा की। मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की तीन दिनों की बैठक में क्या फैसला लिया गया है, गवर्नर दास ने इसके बारे में जानकारी दी। लगातार सातवीं बार रेपो रेट (repo rate) और रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) को बरकरार रखा गया है। रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी रखा गया है।

गवर्नर दास ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से इकोनॉमी उबर रही है। सप्लाई और डिमांड का बैलेंस बिगड़ गया है जिसे धीरे-धीरे ठीक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जून के मुकाबले जुलाई में आर्थिक सुधार बेहतर रहा। इसके साथ में उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के प्रति चौकन्ना रहने की जरूरत है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 9.5 फीसदी बरकरार रखा है।

महंगाई की बात करते हुए उन्होंने कहा कि मई में रिटेल महंगाई दर 6 फीसदी के अपर बैंड के ऊपर निकल गया, हालांकि प्राइस मोमेंटम मॉडरेटेड था।  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 9.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। हालांकि अलग-अलग तिमाही के लिए इस अनुमान में बदलाव किया गया है। जून तिमाही के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 18.5 फीसदी के मुकाबले बढ़ाकर 21.4 फीसदी कर दिया गया है। सितंबर तिमाही के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 7.9 फीसदी के मुकाबले घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया है। दिसंबर तिमाही के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 फीसदी के मुकाबले घटाकर 6.3 फीसदी और चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2022) के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 6.6 फीसदी के मुकाबले घटाकर 6.1 फीसदी किया गया है। यह ग्रोथ रेट सालाना आधार पर है।

पूर्व वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर के अनुमान को 5.1 फीसदी से बढ़ाकर 5.7 फीसदी कर दिया गया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए CPI का अनुमान 5.4 फीसदी के मुकाबले बढ़ाकर 5.9 फीसदी, तीसरी तिमाही के लिए खुदरा महंगाई के अनुमान को 4.7 फीसदी के मुकाबले 5.3 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए महंगाई के अनुमान को 5.3 फीसदी के मुकाबले 5.8 फीसदी कर दिया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के लिए महंगाई के अनुमान को 5.3 फीसदी के मुकाबले बढ़ाकर 5.8 फीसदी कर दिया गया है।

रेपो रेट क्या है?
बैंकों को दिन-प्रतिदिन के लेन-देन के लिए बड़ी रकम की आवश्यकता होती है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक देश भर के बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। इस शॉर्ट टर्म लोन पर लगने वाली ब्याज दर को रेपो रेट कहा जाता है। बैंक अपने ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर उधार देते हैं यदि उन्हें रिजर्व बैंक से कम ब्याज दरों पर ऋण मिल रहा है। जैसे रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाता है, वैसे ही बैंक भी करते हैं।