महाराष्ट्र के एक और बैंक पर आरबीआई ने लगाया जुर्माना,  जाने, क्यों नहीं होगा ग्राहकों पर  असर

ऑनलाइन टीम. नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने  महाराष्ट्र के प्रियदर्शिनी महिला नागरी सहकारी बैंक  पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। रिजर्व बैंक ने ये जुर्माना सुपरवाइजरी एक्शन फ्रेमवर्क (SAF) के तहत जारी किए गए कुछ निर्देशों का पालन नहीं करने की वजह से लगाया है।

यह बैंक महाराष्ट्र के बीड़ में है। RBI के मुताबिक बैंक की 31 मार्च 2019 की वित्तीय स्थिति पर आधारित निरीक्षण रिपोर्ट में बैंक को आरबीआई की व्यवस्था के तहत दिए गए निर्देशों का उल्लंघन मिला है। इसलिए उस पर 1 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया है।  रिजर्व बैंक की इस कार्रवाई का उसके ग्राहकों पर कोई असर पड़ेगा, क्योंकि यह एक प्रक्रिया का ही हिस्सा है। याद रहे इसके पहले शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक पर भी 40 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना नाबार्ड (NABARD) की ओर से जारी कुछ रेगुलेटरी गाइडलाइंस के उल्लंघन को लेकर लगाया गया था। इसके पहले 3 मई को RBI ने कुछ दिशा निर्देशों के उल्लंघन के लिए निजी क्षेत्र के बड़े बैंक ICICI Bank पर 3 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था।
मामला यह है

बैंक की ओर से ग्राहकों के साथ लेन-देन और समझौते की वैधता को जाहिर करने का इरादा नजर नहीं आने के कारण नोटिस जारी कर पूछा गया था कि नियमों का उल्लंघन करने के लिए क्यों नहीं उस पर जुर्माना लगाया जाए? प्रियदर्शिनी महिला नागरी सहकारी बैंक के लिखित और मौखिक जवाब पर विचार करने के बाद बैंक को नियमों के उल्लंघन का जिम्मेदार पाया गया। रिजर्व बैंक ने कहा है कि सहकारी बैंक के खिलाफ ये कार्रवाई रेगुलेटरी कंप्लायंस में खामियों के कारण की गई है। सहकारी बैंक की 31 मार्च 2019 की वित्तीय हालत पर आधारित निरीक्षण रिपोर्ट से पता चला कि रिजर्व बैंक की ओर से जारी कुछ दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया है। जवाबों से रिजर्व बैंक संतुष्ट नजर नहीं आया और जुर्माना लगाना का फैसला किया।

बता दें कि भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई। भारत में मौद्रिक स्थिरता प्राप्त करने की दृष्टि से बैंकनोटों के निर्गम को विनियमित करना तथा प्रारक्षित निधि को बनाएं रखना और सामान्य रूप से देश के हित में मुद्रा और ऋण प्रणाली संचालित करना, अत्यधिक जटिल अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क रखना, वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना, इसकी प्रस्तावना में शामिल है। इसी के आलोक में जनहति को देखते हुए वह समय-समय पर उचित कदम उठाता है, ताकि बैंक मनमानी पर न उतरें।