बीमार कर्मचारी को देखने पुणे पहुंचे रतन टाटा, सोशल मीडिया में जमकर तारीफ

 पुणे . ऑनलाइन टीम : रतन टाटा की विनम्रता फिर एक बार देखने को मिली है। टाटा संस ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा पिछले दो वर्षों से अस्वस्थ अपने एक पूर्व कर्मचारी से मिलने के लिए मुंबई से कार से सफर कर पुणे की फ्रेंड्स सोसाइटी में पहुंचे और उनका हालचाल जाना। हैरत यह है कि जब रतन टाटा पूर्व कर्मचारी से मिलने आए तब वहां कोई मीडिया और कोई बाउंसर्स नहीं था। रतन टाटा के इस प्रयास की सोशल मीडिया में जमकर तारीफ हो रही है। इस निजी दौरे को किसी मीडिया की ओर से कवर नहीं किया गया।

बता दें कि 83 साल के रतन टाटा एक उद्योगपति हैं और इसी के साथ वो मानवतावाद के लिए ज्यादा जाने जाते हैं। रतन टाटा अपने कर्मचारियों के काफी कल्याणकारी काम करते हैं। इससे पहले रतन टाटा कई बार अपने कर्मचारियों से मिलने पहुंचे हैं। उनमें से एक सबसे ज्यादा मार्मिक उदाहरण 26/11 के दिन का है। रतन टाटा 26/11 के हमले से प्रभावित हुए 80 कर्मचारियों के परिवार वालों से मिलने पहुंचे थे। रतन टाटा ने उन कर्मचारियों के बच्चों की पूरी पढ़ाई की जिम्मेदारी ली और परिवार को मेडिकल कवर दिया।

इस बार भी रतन टाटा ने उक्त बीमार कर्मचारी के पूरे परिवार का खर्च उठाने का वादा किया। उन्होंने बच्चों की पढाई और स्वास्थ्य में भी आर्थिक सहयोग देने की बात कही। रतन टाटा अपने दयालु पक्ष के लिए जाने जाते हैं और एक बार फिर उन्होंने कुछ ऐसा काम किया है, जिससे सीख लेकर हम भी मानवता की सभ्यता को आगे ले जा सकते हैं।  इससे पहले कोरोना वायरस के दौरान उद्योग जगत में कर्मचारियों पर हो रही छंटनी को लेकर टाटा ने कहा था कि भारतीय कॉर्पोरेट जगत में हमदर्दी का अभाव है। उद्योग जगत के दिग्गजों को उन्होंने छंटनी न करने का आग्रह करते हुए कहा था कि ये वे लोग हैं जिन्होंने आपके लिए जिंदगीभर काम किया है, लेकिन थोड़ी बारिश क्या हुई आपने उन्हें बाहर ही कर दिया। क्या यही आपके मूल्यों की परिभाषा है।

बता दें कि रतन टाटा, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते नवल टाटा के बेटे हैं।  टाटा गुजरात के पूंजीपति परिवार से थे, लेकिन इसके बावजूद उनका बचपन अच्छा नहीं बीता और इसकी वजह थी उनके माता-पिता का साथ में न रहना। टाटा बहुत छोटे थे जब उनके मां-पिता अनबन के चलते अलग रहने लगे।  टाटा का पालन-पोषण उनकी दादी ने की और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह मुंबई चले गए।  मुंबई में पढ़ाई पूरी करने के बाद टाटा ने  कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर बीएस और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम किया।  रतन टाटा, टाटा ग्रुप के 5वें अध्यक्ष बनें। गौरतलब है कि टाटा ग्रुप में महज 6 अध्यक्ष बने हैं जिसमें से 2 अध्यक्ष टाटा परिवार से नहीं है। टाटा ग्रुप को देश की भरोसेमंद कंपनी माना जाता है।