पिंपरी, 20 जनवरी : वर्ल्ड फेमस कठपुतलीकर रामदास पाध्ये और अर्पणा पाध्ये दम्पति ने 100 वर्षों की यात्रा को सबके सामने रखा है. रोटरी क्लब ऑफ़ चिंचवड़ दवारा आयोजित शिशिर चर्चा सत्र के आखिरी दिन पाध्ये का इंटरव्यू सौरभ सोहनी ने लिया। इस दौरान मंच पर क्लब के अध्यक्ष बालकृष्ण खंडागले, सचिव प्रवीण गुनवरे, राजन लाखे, प्रकल्प प्रमुख संजय खानोलकर आदि उपस्थित थे.
इस मौके पर श्री पाध्ये ने कहा कि 1996 में मेरे पिता प्रा वाय के पाध्ये जादू का प्रयोग करते थे. इसके बाद उन्होंने बोलने वाली कठपुतली का कांसेप्ट पेश किया। पिता दवारा विदेश से ,मंगाए गई कठपुतली के अर्धवटराव व आवडी और उनके बच्चे गंपु-चंपु का नाम दिया गया. मुझे 11 वर्षो के बाद पिता के कार्यकर्म में केवल 5 मिनट का प्रयोग करने का मौका मिला। दुर्भाग्य से 8 दिनों में पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई. लेकिन गुड्डे कठपुतलियों का प्रयोग करना और पिता की परंपरा को आगे बढ़ाना जारी रखा. शुरुआत में होटल में कैबरे डांस के बीच के वक़्त में शो करता था। एक अमेरिकन व्यक्ति ने मुझे देखा और अमेरिका के टीवी पर शो करने का मौका मिला। उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस लाथपुतली के प्रयोग ने विदेश में पैसे, गाडी प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा दिलाई। मेरी कठपुतली ने अमिताभ बच्चन से लेकर लक्ष्मीकांत बेर्डे तक के साथ काम किया है.
इस कार्यकर्म में मेरे परिवार के सभी सभी सदस्यों का साथ मिला है. कार्यकर्म में कितना पैसा मिल रहा है इसके बजाय कार्यकर्म के जरिये हमने मार्गदर्शन और मनोरंजन कैसे हो इस पर अधिक ध्यान दिया।