रजनीकांत का राजनीतिक सस्पेंस…तमिलनाडु के लिए अगले 24 घंटे बेहद अहम 

चेन्नै. ऑनलाइन टीम 
अगले 24 घंटे में तमिलनाडु का राजनीतिक चेहरा बदल सकता है। जाने-माने अभिनेता रजनीकांत पर सबकी नजर लगी है, जो कुछ बड़ा एलान करने वाले हैं।

देखा जाए तो दक्षिण भारत की राजनीति में हमेशा ही फिल्मी दुनिया के लोग छाये रहे हैं। 1977 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर काबिज होने वाले अन्नाद्रमुक प्रमुख एमजी रामचन्द्रन तमिल सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेता थे। द्रमुक (द्रविड़ मुनेत्र कडगम) प्रमुख करुणानिधि भी तमिल फिल्मों के पटकथा लेखक थे। वह भी मुख्यमंत्री पद पर रहे। लोग जयललिता को देवी की तरह पूजते थे और अम्मा कह कर सम्मान देते थे। उनकी मौत के बाद उनके कई समर्थकों ने आत्महत्याएं भी कीं। अभिनेता कमल हासन पहले ही अपनी राजनीतिक पार्टी बना चुके हैं।

दरअसल, तमिलनाडु की द्रविड़ राजनीति और तमिल अस्मिता का कॉकटेल राज्य में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की सफलता में सबसे बड़ी बाधा है। यहां की राजनीति क्षेत्रवाद और द्रविड़-आर्य आधारित राजनीति पर केन्द्रित रही है। जिसका तोड़ निकाले बिना भाजपा या कांग्रेस के लिए राजनीतिक घुसपैठ करना काफी मुश्किल रहा है। यही कारण रहा कि राज्य में अन्नाद्रमुक और द्रमुक का ही शासन रहा। क्षेत्रीय अस्मिता के उफान में इन दोनों क्षेत्रीय पार्टियों ने अपने आप को राज्य तक सीमित कर लिया। तमिलनाडु में कभी के. कामकाज जैसे कद्दावर नेता कांग्रेस के पास थे लेकिन पार्टी पिछले कई दशकों से राज्य की राजनीति में हाशिये पर है। द्रमुक यूपीए में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी रह चुकी है। भाजपा अभी भी तमिलनाडु में हाथ-पांव मार रही है। अभिनेता कमल हासन का जोर द्रविड़ राजनीति पर है, वो द्रविड़ विचारधारा को लेकर चल रहे हैं।

रजनीकांत ने सियासत में बदलाव की चाहत के साथ राजनीति में प्रवेश किया। रजनीकांत का झुकाव भाजपा की तरफ है। वह पहले भी कह चुके हैं कि वह आध्यात्मिक राजनीति करेंगे, लेकिन एक वरिष्ठ आरएमएम पदाधिकारी ने यह कहकर चौंका दिया है कि, ‘यह रजनीकांत के राजनीतिक जीवन का अंत है।’ सूत्रों का कहना है कि रजनीकांत ने इस मुद्दे पर अपने परिवार से भी बातचीत की। रजनीकांत का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है।  बताया जाता है कि रजनीकांत ने बैठक में लोगों से पूछा कि उन्हें क्या चाहिए, ‘सेहत या राजनीति’ इस पर सभी ने कहा-हमारे लिए आपकी सेहत सबसे ऊपर है।