पुणे रेलवे अस्पताल अपने कर्मचारियों के लिए ‘आशा की किरण’

पुणे: ऑनलइन टीम- पुणे का रेलवे अस्पताल अपने रेल कर्मियों को अच्छी एवं तत्पर स्वास्थ्य सेवाएं मिलती रहे इस हेतु से लगातार कार्यरत है।

यहां के डॉक्टर, पैरामेडिकल तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी कोविड की विषम परिस्थितियों में अपने आप को समर्पित कर मरीजों की भरपूर सेवा का दायित्व निभाने में पीछे नहीं हैं। संकट की इस घड़ी में उन्होंने न केवल डॉक्टरी इलाज किया बल्कि सभी को मोरल सपोर्ट देने का दायित्व भी निभाया है। अपनी जान को जोखिम में डालकर खुद कोविड पेशेंट हो जाने के बाद ठीक होकर फौरन ड्यूटी पर अपने काम में फिर से जुट गए। इस समर्पण भरे कार्य पर रेल कर्मचारियों तथा उनके परिवार जनों ने इन्हें सैल्यूट  किया है।

50 बेड की सुविधा वाला यह उत्तम अस्पताल है  । दस हजार रेल अधिकारी ,कर्मचारियों के साथ –साथ 5 हजार से अधिक पेंशनरों,  उनके परिवारजनों सहित करीब 50000 लाभार्थियों को चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराता है I यहां फिलहाल बिस्तरों की संख्या बढ़ाकर 75  तक की गई है। जिसमें 26 कोविड ऑक्सीजन बेड,10 आईसीयू वेंटिलेटर बेड,15 कोरोना संदिग्ध ऑक्सीजन बेड और  24 अन्य बेड रूटीन मरीजों के लिए रखे गए । मार्च 2020 में कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन के बाद से  लाभार्थियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्पताल का सभी स्टाफ  दिन-रात काम कर रहा है। आउट डोर, इन डोर, डायलिसिस और ऑपरेशन थिएटर आधुनिक सुविधाओं से लैस है। यहा  एनेस्थीसिया की आधुनिक मशीन भी है।सामान्य तथा आपातकालीन सर्जरी , लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, नी रिप्लेसमेंट सर्जरी सहित सभी जरूरी मेडिकल सेवाओं का  नियमित संचालन सीमित संसाधनों से पूरी क्षमता से चल रहा है।

हॉस्पिटल के  लगभग 70 प्रतिशत डॉक्टर तथा स्वास्थ्य कर्मचारी भी कोविड की चपेट मे आ गए थे। ठीक होने के उपरांत  वे सेवा दे रहे हैं इनमें से कुछ ने अपने अनुभव साझा किए जो यह दर्शाता है कि इनके लिए मरीजों की सेवा  ही परमो धर्म है:

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ . संजय आठवले ने कहा कि इस अस्पताल में हमारे सभी सहयोगी डॉक्टरों,स्टाफ की समर्पण भरी सेवाएं निश्चित रूप से मुझे बल प्रदान करती है ।

महामारी के प्रथम चरण में  हमने फीवर क्लिनिक शुरु किया कोविड संदिग्ध मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया ।आरटी पीसीआर टेस्ट अस्पताल में ही लिए गए और नए कोविड वार्ड को सीमित रूप से शुरू किया लेकिन दूसरी लहर में मरीज बढ़ने लगे। बाहर मरीजों को कहीं बेड नहीं मिल रहे ,सही उपचार के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा था, ऑक्सीजन के लिए यहां – वहां जा रहे थे, वेंटिलेटर की कमी है ऐसे कई कारण हैं जिनसे मरीजों को तकलीफ पहुंच रही थी मगर इन परिस्थितियों में भी हमारे अस्पताल में  मध्यम दर्जे की संपूर्ण व्यवस्था मरीजों के लिए पर्याप्त थी जिससे  मरीज स्वस्थ होकर घर गए । 700 से ज्यादा मरीजों का इलाज रेलवे अस्पताल में किया गया है। करीब 900 से ज्यादा ऐसे मरीज हैं जिनका होम आइसोलेशन, अन्य अस्पतालों में उपचार किया गया। हमने रेलवे अस्पताल में वैक्सीनेशन सेंटर भी शुरु किया है।

नर्सिंग अधीक्षक सुरेखा पापट ने कहा कि  कैजुअल्टी तथा फीवर क्लीनिक, आइसोलेशन वार्ड में अपनी सेवाएं दिन-रात  दे रही हैं। ऐसे कई प्रसंग हैं जब मरीज तथा उनके परिवार जन यहां विषम परिस्थितियों में घबराते हुए चिंतित होकर आते हैं तब मैं उनको साहस और दिलासा देती हूं । हमारी नर्सिंग सेवाएं और उनकी उचित रूप से देखभाल उन्हें चिंता मुक्त कर देती है ।