पुणे : बिल्डर परांजपे भाइयों से 12 घंटों से अधिक समय से चल रही पूछताछ ; शिकायत में और तीन नाम, विस्तृत जांच जारी 

पुणे, 25 जून : परांजपे बिल्डर परिवार की विलेपार्ले  की जमीन के प्लॉट के  मामले में गुरुवार की रात पुणे में विलेपार्ले पुलिस ने प्रसिद्ध बिल्डर श्रीकांत और शशांक परांजपे को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार कर दोनों को मुंबई ले जाया गया।   इसके बाद से अब तक दोनों से पूछताछ की जा रही है।  12 घंटे से अधिक समय से  दोनों  से पूछताछ चल रही है।  परांजपे भाइयों को मुंबई पुलिस दवारा गिरफ्तार किये जाने से खलबली मच गई है।

इस मामले में मुंबई पुलिस ने श्रीकांत पुरुषोत्तम परांजपे (उम्र 63  ) और शशांक पुरुषोत्तम परांजपे (उम्र 59 ) को कब्जे में लिया है।  इस मामले में विलेपार्ले पुलिस स्टेशन में दोनों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया हैं। ठगी के ही मामले में 3  दिन पहले पुणे पुलिस ने बिल्डर अमित लुंकड को गिरफ्तार किया था।  इसके बाद मुंबई पुलिस दवारा गुरुवार रात परांजपे भाइयों  को गिरफ्तार किये जाने से निर्माणकार्य क्षेत्र में खलबली मच गई है।

इस संबंध में विलेपार्ले पुलिस स्टेशन की  सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर अलका मांडवे ने पुलिसनामा से बात करते हुए बताया कि दर्ज केस मामले में पूछताछ के लिए परांजपे भाइयों को कब्जे में लेकर पूछताछ की जा रही है।  उनकी गिरफ़्तारी होगी क्या ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।

इस मामले में डीसीपी मंजुनाथ शिंगे ने बताया कि श्रीकांत और शशांक परांजपे के खिलाफ ठगी और विश्वासघात का केस  दर्ज किया गया है।  उन्हें गिरफ्तार करने के लिए बल्कि पूछताछ के लिए कब्जे में लिया है। सबूतों की जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

70 वर्षीय महिला दवारा दर्ज कराई गई शिकायत में माधव परांजपे और राघवेंद्र पाठक का भी नाम शामिल है।  इससे पहले आरोपियों पर जनवरी 2020 में दर्ज कराई गई ठगी और विश्वासघात केस की तरह केस दर्ज  है।  इस मामले में सबूतों की जांच का काम चल रहा है।

परांजपे परिवार की विलेपार्ले स्थित जमीन के प्लॉट  मामले में यह केस दर्ज किया गया है।  गृह रचना सोसायटी के जन्मदाता भाऊराव परांजपे की बेटी वसुंधरा डोंगरे (उम्र 70 ) है।  श्रीकांत और शशांक परांजपे के पिता पुरुषोत्तम वसुंधरा के चाचा है।
वसुंधरा डोंगरे ने अपने सगे भाई जयंत परांजपे के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई है।  अपनी मां सरस्वती परांजपे   का फर्जी सिग्नेचर कर उनके नैसर्गिक अधिकार को नकारा गया।