पुणे स्नातक सीट : केडर के अनुशासित निष्ठावानों को दबाये जाने से सुशिक्षितों  ने दिखाया कात्रज घाट, मानहानिकारक हार और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को करना होगा आत्मनिरीक्षण 

पुणे, 4 दिसंबर : केडर के अनुसाशित निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दबाने और शिवसेना के गठबंधन की वजह से सुशिक्षित मतदाताओं ने स्नातक सीट चुनाव में भाजपा नेतृत्व को कात्रज का घाट दिखा दिया है।

पुणे स्नातक सीट से महाविकास आघाडी के उम्मीदवार अरुण लाड ने भाजपा के उम्मीदवार संग्राम देशमुख को पहले राउंड में करीब 50 वोटों के अंतर से पराजित कर दिया है।  कार्यकर्ताओं को हमेशा चुनाव मोड़ पर रखने वाली भाजपा के पहली बार झटका लगा है।  खास बात यह है कि इस सीट से 2 बार विधायक और मंत्री और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के नेतृत्व में हुए चुनाव में मानहानि वाली हर पाटिल और शीर्ष नेतृत्व का आत्मनिरीक्षण करना होगा।

जबकि दूसरी तरफ तीन दलों के एक साथ लड़ने पर इस पहले बड़े चुनाव में एकजुट होकर काम करने से पांच वर्ष पहले पश्चिम महाराष्ट्र के किले में सेंध लगाकर भाजपा को कात्रज का घाट दिखाने की जबरदस्त तैयारी नज़र आ रही है।

इससे पहले हुए स्नातक चुनाव में भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल विजयी हुए थे। दो बार भाजपा शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस को धूल चटा दी थी।

लेकिन पिछले साल भाजपा-शिवसेना का गठबंधन टूटने के बाद राजनीतिक समीकरण बदल गया है।  पिछले साल  शिवसेना ने भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस और राष्ट्रवादी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई। स्ट्रांग केडर वाली पार्टी के रूप में पहचानी जाने वाली भाजपा की इस हार के पीछे अन्य कई वजह बताई जा रही है. ऐन मौके पर आयात उम्मीदवार लादने से कार्यकर्ताओं में निराशा फ़ैल गई है।  संग्राम देशमुखी कुछ साल पहले कांग्रेस से भाजपा में  आये थे।

उनके  घर से एक सदस्य विधान परिषद् में पहले से ही है।  उसके बाद भी परिसर से दूसरे सदस्य को उम्मीदवार बनाना कार्यकर्ताओं को रास नहीं आया। पुणे जैसे शहर में भाजपा की सबसे अधिक ताकत होने के बाद भी इच्छुकों को दबाये जाने से कार्यकर्ता नाराज है।