Pune: क्राइम ब्रांच की ‘प्रॉपर्टी सेल’ के पूर्व पुलिस निरीक्षक ने रश्मि शुक्ला पर लगाए सनसनीखेज आरोप, धनंजय धुमाल ने कहा – ‘पुलिस अधिकारी सुनील पवार, अरुण सावंत और अन्य लोगों की हो जांच’! ‘उन’ पुलिसवालो के संपत्ति को लेकर उठाया सवाल

पुणे : फोन टैपिंग मामले में चर्चा में आए आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला पर फिर से एक आरोप लगा है। पुणे पुलिस आयुक्त के कार्यकाल के दौरान उनके नाम पर फिरौती मांगने के मामले में निलंबित किए गए पूर्व पुलिस निरीक्षक धनंजय धुमाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चार वर्षो के बाद अपना पक्ष रखा है। मेरे खिलाफ पैसे मांगने की झूठी शिकायत की गई है, सरकार और मीडिया मेरा पक्ष सुनकर मुझे न्याय दे। साथ ही इस मामले में षड्यंत्र करनेवाले पुलिस अधिकारियों के साथ ही रैकेट के सभी लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की गई।

पूर्व पुलिस निरीक्षक धुमाल ने पुणे पुलिस आयुक्त और राज्य के गृह मंत्री को इस संबंध में एक निवेदन भेजा है। इस संबंध में, उन्होंने आज पुणे श्रमिक  संघ में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया। इस मौके पर उनके वकील एड. रमेश जाधव उपस्थित थे। धनंजय धुुमाल ने कहा कि उनके खिलाफ तत्कालीन पुणे पुलिस कमिश्नर रश्मि शुक्ला के नाम पर संदीप जाधव से 25 लाख रुपये की फिरौती मांगने की झूठी शिकायत दर्ज की गई थी। मुझे इसके लिए निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, इसमे प्रदान किए गए ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग सबूत फर्जी था और उसके साथ हेरफेर किया गया था। हालांकि, मूल रिकॉर्डिंग जिस स्पाइ कैमरों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करके की गई थी, उस मूल सबूत को जांच अधिकारी को नहीं दिया गया, प्राथमिक जांच अधिकारी ने फर्जी रिकॉर्डिंग के आधार पर जांच कर मेरे पर कार्रवाई की। संदीप जाधव ने यह रिकॉर्डिंग (दिनांक 20/07/2016 को किया था। उसे 02/08/2016 तक) रखा था। धनंजय धूमल ने यह भी आरोप लगाया है कि उसने इसमें आवश्यक बदलाव किए और फिर इसे मीडिया और पुलिस आयुक्त को सौंप दिया।

अब फिर से इस खबर को प्रसारित किया जा रहा है इससे मुझे, मेरे परिवार और महाराष्ट्र पुलिस की बदनामी हो रही है। साथ ही मेरे अपील पर जल्द से जल्द सुनवाई हो इसके लिए मैंने पत्रव्यवहार किया है। लेकिन, कोविड की वजह से यह समय पर पूरा नहीं हो सका। इसलिए लाइलाज मुझे मीडिया के माध्यम से स्पष्टीकरण देना पड़ रहा है। साथ ही फर्जी शिकायत आवेदन और फर्जी सीडी पुलिस बल के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा तैयार कर संदीप जाधव को दिए गए हैं।

बाणेर, बालेवाडी के सर्व सामान्य लोगों के जमीन पर कुछ पुलिस की मदद से संदीप जाधव व हेमंत गांधी और साथियो द्वारा अवैध रूप से किए गए कब्जे को लेकर जो शिकायत की गई, उसपर संबंधित पुलिस थाने की ओर से उचित कार्रवाई नहीं की गई। जिस वजह से आज भी न्याय नहीं मिला है।

वास्तव में,  शिशिर कोशे की जमीन पर संदीप जाधव और हेमंत गांधी द्वारा पुलिस की मदद से अवैध कब्जा कर लिया था, इस शिकायत आवेदन की मैं जांच कर रहा था। संजय मुथा के कागजातो का इस्तेमाल कर 30 साल पहले टाटा मोटर्स कंपनी के लोगो द्वारा लिए गए जमीन पर संदीप जाधव और हेमंत गांधी ने कुछ पुलिस अधिकारियों की मदद से जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया था। एक प्लाट संदीप जाधव और हेमंत गांधी से तत्कालीन पुलिस निरीक्षक सुनील पवार ने अपनी पत्नी के नाम पर लिया था। इस जमीन की सरकारी कीमत 90 लाख और बाजार भाव 4 से 5 करोड़ रुपये है। इस तथ्य की जांच की मांग भी धुमाल ने की है।

शिशिर कोशे की शिकायत के बाद पुलिस आयुक्त के निर्देश पर संदीप जाधव और हेमंत गांधी से मैं पूछताछ कर रहा था। 2016 में मैं पुणे सिटी क्राइम ब्रांच (प्रॉपर्टी सेल) में काम कर रहा था। इसलिए, संदीप जाधव ने पूछताछ के दौरान हुई चर्चा की फर्जी रिकॉर्डिंग का सबूत पेश किया। इसमे तत्कालीन पुलिस निरीक्षक सुनील पवार, अरुण सावंत और सुरेश मिरगे की संलिप्तता की भी जांच होनी चाहिए, ऐसा धनंजय धुमाल ने कहा।

जान को खतरा

मैंने एक महीने पहले पुणे के पुलिस आयुक्त और संयुक्त आयुक्त से मिला हूं और उन्हें मेरे साथ हुए अन्याय की जानकारी दी है। कार्रवाई की मांग भी की। साथ ही, मुझे झूठे अपराध में फसानेवाले संदीप जाधव व अन्य से जान के खतरे से भी अवगत कराया, यह जानकारी धनंजय धुमाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।

धुमाल ने जांच की मांग की

संदीप जाधव पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के संपर्क में है। पुलिस के संपर्क में आने से पहले जाधव क्या कर रहे थे, इसकी जांच होनी चाहिए। जाधव पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के बेहिसाब पैसे और अचल संपत्ति की हेराफेरी से संबंधित काम करते है। यही वजह है कि कुछ ही सालों में वे करोड़ों रुपये के मालिक बन गए। कैसे वह करोड़ों का मालिक बन गए इसकी जांच उपयुक्त सरकारी एजेंसियों द्वारा की जानी चाहिए। इसके बाद बहुत सारी बातें बाहर आएंगी।