Pune | पुणे के दानवीर व्यक्तित्व के रूप में पहचाने जाने वाले धनराज राठी का निधन 

पुणे (Pune News) : पुणे (Pune) के दानवीर व्यक्तित्व के रूप में पहचाने जाने वाले और माहेश्वरी समाज के प्रतिष्ठि व्यक्ति धनराजजी मालचंदजी राठी (Dhanrajji Malchandji Rathi) (उम्र 70) का आज मंगलवार की सुबह पुणे (Pune) में निधन (Death) हो गया।  वह अपने पीछे बड़ा परिवार छोड़कर गए है।  उनके निधन पर कई लोगों ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन से  समाज का भारी नुकसान हुआ है। राठी की  अंतिम यात्रा आज 12 अक्टूबर की  रात 7 बजे सुखसागरनगर (Sukhsagarnagar) में उनके घर से निकलेगी।  उनका बैकुंठ धाम श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

 

धनराजजी मालचंदजी राठी समाज के बड़े व्यक्तित्व थे।  उनके कार्य का संज्ञान लेते हुए राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने उन्हें भामाशा पुरस्कार (Award) देकर सम्मानित किया था।
राठी ने पुणे (Pune) और राजस्थान सहित देश की कई संस्था भवन, धर्मशाला, मंदिर को भारी आर्थिक मदद की थी और अभी तक कर रहे थे।  उनसे चंदा मांगने  आया कोई भी  कभी खाली हाथ नहीं गया।

 

जोधपुर (Jodhpur) के राजा के ट्रस्ट में उन्होंने ट्रस्टी के रूप में काम किया था।  साथ ही वे नागणेची माता ट्रस्ट (Nagnechi Mata Trust) के भी ट्रस्टी थी।  राजस्थान में कोई भी व्यक्ति या संस्था उनके पास चंदे के लिए आता तो वह कभी खाली हाथ नहीं जाने देते थे।  उन्होंने 1999-2000 में महेश नागरी मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव संस्था (Mahesh Nagari Multi State Co-Operative Society) की स्थापना की थी।  राठी इसके संस्थापक अध्यक्ष थे।
पतसंस्था के जरिये उन्होंने कई बेरोजगार युवाओं  को रोजगार उपलब्ध कराया था।  साथ ही कई बेरोजगार युवाओं की आर्थिक मदद (Financial help) कर खुद के पैर पर खड़े होने और समाज में सर उठाने में मदद की।  राठी 2015 से 2020 की अवधि में पांच वर्ष तक सांस्कृतिक भवन (Cultural Building) के अध्यक्ष थे।  उनके अध्यक्ष वाले कार्यकाल में संस्था की प्रगति हमेशा ऊंची उठती गई।  इस अवधि में संस्था ने मुकुंद नगर में भवन की सैनिटोरियम की जगह ली।  उनके अध्यक्ष रहते इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
मितभाषी रहे धनराज राठी हमेशा लोगों से घिरे रहते थे।  संस्था की प्रगति के रास्ते में वे  कभी नहीं आये।  स्पष्टवादी होने के कारण राठी ने कभी किसी के साथ कपट नहीं की।  हमेशा उनका दानवीर हाथ आगे ही रहा।  समाज के लोगों ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन से माहेश्वरी समाज को भारी नुकसान पहुंचा है।

 

 

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