Pune Court | मंगलदास बांदल की जमानत याचिका खारिज

पुणे (Pune News) – Pune Court | पुणे जिला परिषद (Pune Zilla Parishad) के पूर्व निर्माण अध्यक्ष मंगलदास बांदल (Mangaldas Bandal) की जमानत याचिका को पुणे की अदालत (Pune Court) ने खारिज कर दिया। सत्र न्यायाधीश एस. बी. हेडाऊ (Sessions Judge S. B. hedeau) ने यह सुनवाई की।

बांदल का नाम न आये इसके लिए उसने दोनों अधिकारियों की मदद से कर्ज लिया और पैसे का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया। बिना किश्त दिए जमीन बेच दी गई है। कोर्ट में अतिरिक्त सरकारी वकील राजेश कावेडीया (Public Prosecutor Rajesh Kavediya) ने दलील दी कि उनकी जमानत खारिज की जानी चाहिए। इसी के तहत कोर्ट (Court) ने अपना फैसला सुनाया।

इस मामले में बांदल समेत रुपेंदरकौर हरचरणपाल नंदा (Rupendarkaur Harcharanpal Nanda), हरचरणपाल मोहनसिंग नंदा (Harcharanpal Mohansing Nanda) (कोंढवा), विजय दिनकर धुमाळ (Vijay Dinkar Dhuma) (पिंपळे धुमाळ, ता. शिरूर) और गोरख महादेव दोरगे (Gorakh Mahadev Dorge) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। 19 जनवरी 2015 को हुई इस घटना को लेकर बैंक के वसूली अधिकारियों ने शिकारापुर पुलिस (shikrapur  Police) में शिकायत दर्ज कराई। रुपेंदरकौर और हरचरणपाल के नाम पर कर्ज लिया है। यह जमीन विजय धुमाळ को बेच दिया गया था। पुलिस ने मामले में मंगलदास बांदल को गिरफ्तार (Arrest) किया है। इस दौरान दोनों नंदा ने कहा कि लेन-देन बंदाल ने किया था। बांदल ने जमीन मालिक सुरेश शिंदे को बेचने की धमकी दी।

जबकि लेन-देन 1 करोड़ 40 लाख रुपये का था, उन्हें केवल 70 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। उसके खिलाफ शिकारापुर थाना (shikrapur  police station) पुलिस 4 मामलों की जांच कर रही है। इससे पहले सात मामले दर्ज किए गए थे। शिकरापुर इलाके में इसका आतंक है। जमानत से जांच प्रभावित होने की संभावना है।

इसलिए जमानत खारिज करें, ऐसी मांग अधिवक्ता  राजेश कावेडीया ( Rajesh Kavediya)) ने की। जमीन खरीदने के लिए उन्होंने वडगांव शेरी स्थित शिवाजीराव भोसले सहकारी बैंक से 2 करोड़ 10 लाख रुपये का कर्ज लिया था। शिकारापुर पुलिस उपनिरीक्षक  ए. ए. खटावकर (shikrapur Police Sub-Inspector A. A. Khatavkar) मामले की जांच कर रहे हैं।

 

 

Solapur | 2016 में गडकरी के हाथों भूमिपूजन होने के बाद भी अभी तक नक़्शे पर ही दो फ्लाईओवर!

Maharashtra | गलत रवैये का अनुसरण करना आढलराव को पड़ा महंगा; विधायक दिलीप मोहिते की टिप्पणी