Pune Anti Corruption | सहायक पुलिस निरीक्षक ने बिचौलियों के माध्यम से शिकायतकर्ता से किया था ‘संपर्क’, जानें क्या है इनसाईड स्टोरी

पुणे (Pune News) – Pune Anti Corruption | पुलिस थाने में दर्ज धोखाधड़ी (Fraud) मामले में जमानत दिलाने में मदद के लिए 5 लाख रुपए की रिश्वत (Bribe) मामले में 1 लाख रुपए रिश्वत लेते सहायक पुलिस निरीक्षक (Assistant police inspector) को पुणे एंटी कॉरप्शन (Pune Anti Corruption) की टीम ने रंगेहाथ पकड़ा है। एसीबी (ACB) ने लोहागांव में जाल बिछाकर मध्यस्थ को रिश्वत लेते पकड़ा। ट्रैप सफल होते ही एपीआय (API) को कोर्ट परिसर के बाहर से ही एसीबी ने हिरासत में लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि जांच में यह निष्कर्ष निकला है कि ‘एपीआई’ ने खुद एक बिचौलिए के माध्यम से रिश्वत मांगी थी।

सहायक पुलिस निरीक्षक राहूल अशोक पाटील (Assistant Police Inspector Rahul Ashok Patil) (33) और निजी व्यक्ती संतोष भाऊसाहेब खांदवे (Santosh Bhausaheb Khandve) (45, लोहगाव) आरोपियों के नाम है। मिली जानकारी के मुताबिक, मनिष ज्ञानेश्वर म्हस्के (Manish Dnyaneshwar Mhaske) (48, कळस, माळवाडी) ने विमानतळ पुलिस स्टेशन (Airport Police Station) में शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद धनराज मोझे (Dhanraj Mojhe) (58, मोझे आळी, लोहगाव) और भरत पवार (Bharat Pawar) (35, लोहगाव) पर पुलिस ने 1 सितंबर को 406, 420, 506, 34 के तहत अपराध दर्ज कर लिया। म्हस्के को लोहगाव में 16.5. एकड़ जमीन प्लॉटिंग कर के दूंगा कहकर फ़रवरी 2014 में सौदा किया। धनराज मोझे ने शिकायतकर्ता से 2 करोड़ 75 लाख रुपये खुद लिए।

भरत पवार ने शिकायतकर्ता से 45 लाख रुपए लेकर जमीन का काम पूरा नहीं किया। ऐसे कुल 3 करोड़ 30 लाख रुपए की ठगी (Fraud) की। इस मामले में विमानतळ पुलिस (Airport Police) ने दोनों को 3 सितंबर को गिरफ्तार (Arrest) किया। जिसके बाद उन्हें 4 सितंबर को न्यायालयात में पेश किया गया। न्यायालय ने उन्हें 8 सितंबर तक पुलिस कस्टडी (Police Custody) में भेज दिया। एक आरोपी ने शिकायतकर्ता को 45 लाख रुपये लौटा दिए। अब सवाल सिर्फ पहले आरोपी के पैसे का था। यह सब होने के बाद असली खेल शुरू हुआ।

आम तौर पर, यदि पुलिस को किसी अपराध की कोई शिकायत या जांच प्राप्त होती है, तो जांच में आरोपी या उसके रिश्तेदारों से अनुरोध किया जाता है कि वे जांचकर्ता पुलिस अधिकारी से संपर्क करें और उसकी सहायता करें। लेकिन, इस मामले में हुआ ठीक इसके विपरीत। दोनों को 8 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेजे जाने के बाद, एपीआई राहुल पाटिल (API Rahul Patil) ने मध्यस्थ  संतोष भाऊसाहेब खांदवे के माध्यम से शिकायतकर्ता से संपर्क किया। संतोष ने शिकायतकर्ता को बताया कि, इस अपराध में आपके रिश्तेदार को जमानत दिलाने में मदद करता है। उन्होंने पांच लाख रुपये की मांग की। इसलिए शिकायतकर्ता ने रिश्वत रोकथाम विभाग ()Bribery Prevention Department में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत की जांच की गई। तीन लाख रुपये देने पर सहमति बनी। चूंकि पुलिस हिरासत की अवधि 8 सितंबर को समाप्त हो रही है, उस स्थान पर मध्यस्थ ने लोहेगांव में भुगतान करने के लिए कहा। वहीं एपीआई राहुल पाटिल दोनों आरोपियों को शिवाजीनगर कोर्ट ले गए।

लोहगांव (Lohgaon) में संतोष खंडवे को एसीबी ने एक लाख रुपये लेते हुए पकड़ा। ट्रैप ऑपरेशन (trap operation) सफल होते ही एसीबी का एक और दस्ता शिवाजीनगर कोर्ट (Shivajinagar Court) में मौजूद रहा। अदालत परिसर से बाहर आते ही उन्होंने राहुल पाटिल को गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजकर येरवड़ा जेल (Yerwada Jail) भेज दिया गया।

 

 

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