Pune | भाजेकर पवेलियन से डेक्कन पुलिस थाने तक का 99 साल का सफर

पुणे : Pune | वो अंग्रेजों का जमाना था….स्वाभाविक रूप से क्रिकेट का प्रसार होने लगा… 1906 में स्थापित डेक्कन जिमखाना क्लब (Deccan Gymkhana Club) भी पीछे नहीं रह सका…. जिमखाना (Pune) में क्रिकेट (Cricket) शुरू हुआ और अलग-अलग मैच शुरू हो गए। इसके लिए आवश्यक था पवेलियन (Pavilion)…

 

पवेलियन तत्कालीन जिमखाना मैदान से सटे एक प्लॉट पर बनाया गया था….. इंग्लैंड के क्रिकेट पवेलियन (England Cricket Pavilion) की तरह ही इस पवेलियन की भी शान थी…. भवन के दोनों ओर मेहमान टीम और मेजबान टीम के लिए कमरा , बीच में स्कोर्स लगाने की व्यवस्था …….. इस पवेलियन का नाम एल. आर. भाजेकर (Ale. R. Bhajekar) रखा गया… भाजेकर 1908 से 1911 तक डेक्कन जिमखाना के पहले महासचिव थे। इस संरचना को बनाने के लिए तिलक तालाब के स्थान पर पत्थर की खदानों का उपयोग किया गया था। पवेलियन का उद्घाटन 30 सितंबर, 1922 को हुआ था।

 

उस समय, जिमखाना क्षेत्र को शहर के बाहर का क्षेत्र माना जाता था।महाराष्ट्र एजुकेशन सोसाइटी (Maharashtra Education Society) ने डेक्कन जिमखाना (Deccan Gymkhana) से कॉलोनी में रहने वाले लड़के और लड़कियों के लिए स्कूल हो इस उद्देश्य से जगह मांगी। जिमखाना के उस समय के पदाधिकारी ने भाजेकर पवेलियन (Bhajekar Pavilion) की कुछ जगह स्कूल के लिए दिया… 22 अक्टूबर 1922 से, महाराष्ट्र प्राथमिक स्कूल ऑफ महाराष्ट्र एजुकेशन (Maharashtra Primary School of Maharashtra Education) की कक्षाएं इस भवन में शुरू हुई थी। उस समय चार कक्षाएं शुरू की गई थी…

 

बाद में स्कूल (School) अपने बिल्डिंग में चला गया और भाजेकर पवेलियन फिर से खाली हो गया…. इसी बीच द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया और अंग्रेजों ने इस स्थान पर राशन कार्यालय शुरू कर दिया। उसके बाद कुछ वर्षों में इस भवन में आयुर्वेद रसशाला दवाई कारखाना कुछ समय के लिए चला।

 

जैसे-जैसे जिमखाना की आबादी बढ़ती गई, वैसे-वैसे इलाके में पुलिस चौकी की जरूरत भी पड़ी।भाजेकर पवेलियन को पुलिस ने जगह के रूप में चुना।

 

तब से लेकर आज तक डेक्कन थाना इसी बिल्डिंग में है। कभी खिलाड़ियों को देखनेवाले इस इमारत ने खतरनाक अपराधी को भी देखा…..

 

डेक्कन जिमखाना द्वारा 15 मार्च, 1964 को अपनी आम सभा में 25,000 रुपये की लागत से लॉकअप के निर्माण के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। इससे पहले कुछ पुलिसकर्मी इस जगह पर रहते थे। डेक्कन जिमखाना के रिकॉर्ड बताता हैं कि चीफ कांस्टेबल दलवी इमारत में रहने वाले आखिरी पुलिसकर्मी थे।

 

1961 में जब पुणे (Pune) में पानशेत बांध टूटा तो इमारत की छत तक पानी पहुंच चुका था। उस समय स्टेशन डायरी बचाने के लिए उस समय के अमंलदार उसे लेकर छत पर चढ़ कर बैठ गए थे। कुल मिलाकर यह जगह अनोखी है…..

 

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