दाल बढ़ाती है पौरुष क्षमता 

समाचार ऑनलाईन – प्रोटीन से भरपूर होने के कारण दालों को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद बताया जाता है. एक ताजा शोध के मुताबिक, दाल व लेग्यूमिनेसी (मटर के समान दानेदार) प्रजाति के खाद्यान्न में जिंक की पर्याप्त मात्रा होती है जो पौरुष यानी प्रजनन क्षमता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है. भारतीय भोजन का अहम अंग मानी जाने वाली दालों के अलावा चिकेन, मूंगफली व शेलफिश में भी जिंक की प्रचुर मात्रा पाई जाती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आकलन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दुनिया की एक तिहाई आबादी जिंक की कमी से जूझ रही है. ब्रिटेन जैसे विकसित देश में भी बच्चे, किशोर, गर्भवती महिलाएं व बूढ़े पोषाहार नहीं लेते. विशेषज्ञों की राय में अधिकांश लोग रोजाना भोजन में निर्धारित मात्रा से भी कम जिंक का सेवन करते हैं. एबरडीन यूनिवर्सिटी के मुताबिक जिंक की कमी के चलते स्वास्थ्य की कई समस्याएं पैदा होती हैं. इनमें प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर होना व पौरुषहीनता प्रमुख है. जिंक की प्रचुरता वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न केवल प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है बल्कि हृदयरोगो से भी निजात दिलाता है. मिशीगन की वेन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक जिंक प्रतिरक्षी कोशिकाओं के विकास व उनकी कार्यविधि के लिए जरूरी है. साथ ही यह कोशिकाओं के दोबारा बनने, वृद्धि व विकास के लिए भी आवश्यक होता है. गर्भवती महिलाओं व बच्चों के विकास में भी जिंक अहम भूमिका निभाता है. बच्चों में इसकी कमी न केवल वृद्धि को प्रभावित करती है बल्कि इससे प्रतिरक्षा, मस्तिष्क के विकास व त्वचा पर दुष्प्रभाव पड़ता है. जिंक एक एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है. जो त्वचा झिल्ली व अन्य टिश्यू (ऊतकों) में होने वाले नुकसान को रोकता है. साथ ही जिंक डीएनए में सुधार कर बुढ़ापे की प्रक्रिया रोकने में भी मददगार साबित होता है.